11.8.11

मित्र जिसका विछोह मुझे बर्दाश्त नहीं

   
                   ख़ास मित्र के लिए ख़ास पोस्ट प्रस्तुत है.. आप लोग चाहें इसे अपने ऐसे ही किसी ख़ास मित्र को सुनवा  सकते .... 




ऐसे मित्रों का विछोह मुझे बर्दाश्त नहीं. आप को भी ऐसा ही लगता होगा.. चलिये तो देर किस बात की
ये रहा मेरा मित्र जो नाराज़ है मुझसे यह एक मात्र तस्वीर है  इनके पास जिनका हार्दिक आभारी हूं.

10.8.11

बधाईयां अर्चना चावजी संगीता पुरी, घुघूती बासूती, रश्मि स्वरूप,निर्मला कपिला जी को ..

हिन्दी की मशहूर ब्लागर वेबकास्टए पाडकास्टर मेरे मन की..स्वामिनी एवम मिसफ़िट की सहभागी ब्लागर  तथा  ब्लाग  अर्चना चावजी  सौम्य एवम सतत कर्मशील ब्लागर हैं.. आवाज़ पर इनका हालिया प्रसारण हवा महल आकाशवाणी के आडियो सीरियल  "हवा महल" की याद दिलाता है..


ब्लाग इन मीडिया पर प्रकाशित सूचना के अनुसार,
9 अगस्त 2011 को The New York Times के इंटरनेट संस्करण में संगीता पुरीघुघूती बासूतीअर्चना चावजीरश्मि स्वरूप,निर्मला कपिला का उनके ब्लॉगों के नाम सहित तथा रवि रतलामी का उल्लेख करते हुए भारत में महिला ब्लॉगरों पर आधारित लेख
.
यही आलेख प्रिंट में, The New York Times के एशियाई संस्करण The International Herald में 10 अगस्त 2011 को पृष्ठ 2 पर छपा है. यहाँ उसका सांकेतिक प्रस्तुतिकरण है क्योंकि वह पृष्ठ नहीं मिल सका, केवल मुख्य पृष्ट ही मिल सका
.
                                     संगीता पुरीघुघूती बासूतीअर्चना चावजीरश्मि स्वरूप,निर्मला कपिला को 
मिसफ़िट की ओर से  हार्दिक बधाईयां 
भवदीय
गिरीश बिल्लोरे "मुकुल"


8.8.11

"ज़रा सी विकृति जायज़ है वरना आप जितने सहज होंगे कुत्ते उतना ही आपका मुंह चाटेंगें"

                            "आप जितने सहज होंगे कुत्ते उतना ही आपका मुंह चाटेंगें" इस बात से कई दिनों तक मेरी असहमति थी. हो भी क्यों न सहजता ज़िंदगी में वो रंग भरती है जो केवल प्रकृति ही दे सकती है हमारे जीवन को.. हुआ भी यही जीवन भर की सादगी सहजता के सहारे जीवन में  रंग भरता इंसान..  
मेरा  एक कपटी मित्र जिसकी असलियत से वाकिफ़ तो था पर आज़ मित्रता दिवस पर मैने उससे रिश्ता तोड़ लिया वो एक शातिर शिक़ारी है..एक ऐसा शिक़ारी जो मासूमियत और नेक़ी का लबादा ओढ़ के दुनियां के सामने बड़ी बेहरहमी से मानवाधिकारों का अंत किया  मेरे .भी...
    पर क्या हम खुद पर  हिंसक आघातों को  जारी रहने दें .... कदापि नहीं..हमको विद्रूपता का सहारा लेना ही होगा.. वरना कुत्तों से आपका मुंह यूं ही चटवाया और नुचवाया जाता रहेगा ..  चेहरे पर विद्रूपता लानी ही होगी.. पर इस विद्रूपता को व्यक्तित्व पर हावी न होने दिया जाए.. 
 कैसे ..?
                       इस सवाल का ज़वाब दिया था एक दिन मेरे मित्र  सलिल समाधिया ने :-... अगर आप सांस्कृतिक नहीं तो आप के काबिल दुनियां नहीं.. दुनियां के काबिल कौन है..? वही जो गाता है... नैसर्गिक संगीत के साथ सरस भावों वाले गीत गाता है.. !!   जो सांस्कृतिक है , 
                                    आज़ गुरुदेव ने अनंत जी से इच्छा व्यक्त की कि वे मुझसे बात करेंगें.. गुरु की महिमा देखें ब्रह्मचारी अनंत बोध जी ने बताया होगा उनसे कि "गिरीष कवि है.." वो बोले.. हृदय से निर्मल होगा ..!! यहां यह स्पष्ट है कि :- "सर्जक को सभी दुलारतें हैं" विध्वंसक की सहज सराहना.. नहीं होती..
लोग आज़कल इस ज़द्दो ज़हद में लगें हैं कि उनकी अमुक से तमुक नातेदारी है.. लोग अपने बाप दादों के किये का गीत गा गा कर आपके बीच होते हैं कुछेक लोग ऐसों से प्रभावित हो जाते हैं.. मुझे ऐसे लोग उस भिखारी से नज़र आते हैं जो किसी का गीत गा गा कर भूख से बचने की जुगत लगाते हैं.. सच ऐसे लोग लोकेषणा की क्षुदा तृप्ति के अलावा क्या कर रहे होते हैं ध्यान से देखिये..!!
     एक क्या ऐसे लोगों की भरमार है .. आपके हमारे इर्दगिर्द
   एक मित्र ने बताया की वे फलां के ढिकां हैं दूसरे ने बताया की अमुक सेली ब्रिटी से उनका ये रिश्ता है.. तो हम बोले एक बात मैं भी जानता हूम ...!
मित्र बोले:-क्या.. बताओ बताओ..!!
हमने कहा :-"मैथुनी सृष्टि के पूर्व ब्रह्मा जी ने सप्तर्षियों का उल्लेख करते हुए कहा था कि:- 

मरीची अत्रि, भवान अंगिरा, पुल: कृतु
पुलतश्च्य  वशिष्ठ्श्च, सप्तैते ब्राह्मणा सुता   
और अंगिरा कुल के तीन प्रवर हुए विश्वामित्रे मधुछंदा  अघमर्षण
और वे पूर्व स्व. राष्ट्रपति महामहिम  शंकर दयाल के नाते दार हैं.. "  
     मूर्खों की जमात को ऐसे ही बहलाते हुए हम  निकल लिए.. ..  

6.8.11

श्रीमति वंदना गुप्ता से बातचीत

ग्रहणी एवम ब्लागर श्रीमति वंदना गुप्ता  से बातचीत आपकी सेवा में पेश हैं
जिनके ब्लाग्स हैं


ज़िन्दगी…एक खामोश सफ़रज़ख्म…जो फूलों ने दियेएक प्रयास              
 


रमज़ान और सावन

तुम एक दिन उपवास करो
मैं भी  एक दिन रोज़ा रखूं..!!
न तुमसे अल्लाह को
न मुझसे भगवान को
कोई एतराज़ होगा..
रमज़ान के मानी पाक़ीज़गी में
रम जाना
सावन के महीने वाला रमज़ान
रमज़ान के साथ वाला सावन
एक चारों ओर पाकी़ज़गी का एहसास
तुम्हारे रोज़े कुबूल होंगे
मेरे उपवास
आओ बैठे इबादत और पूजा के लिये 
तनिक पास पास ..!!


5.8.11

हम बेहतर बांबी के बाहर तुम महफ़ूज़ अस्तीनों मे.. छिपे रहो.. आलों में चाहे या कि घर के जीनों में..!!

हम बेहतर बांबी के बाहर छुपना तुम अस्तीनों मे..
छिपे रहो.. आलों में चाहे या फ़िर घर के जीनों में..!!
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तुमने हमसे क्या सीखा है तुम ही जानो हम क्या बोलें..
क्यों बोलें भाषा तुम सब सी, काहे गिरहें तुम्हरी खोलें..?
हम विषधर हैं तुम विष डूबे, विष है तुम्हरे सीनों में......!!
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तुमने सारी धरती मापी, जिसका भार है मेरे सर
विषधर कहते हो तुम मुझको, कहा कभी न धरती धर !!
काम हमारा तुम करते हो.. बोते ज़हर ज़मीनों पर ..
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3.8.11

सुन प्रिय मोरी चाहत उसपे.. जो न स्वांग रचाए





मन  मधुवन अरु देह राधिका   हिवड़ा ताल सजाए ! 
कैसे रोकूं ख़ुद को कान्हा,  सावन   मन भरमाए  !!
**************
मैं बिरहन बिरहा की मारी, अश्रु झरें ज्यों चिंगारी
बेसुध हूं मैं तन अरु  मन से,  चीन्हो मोहे  श्रृंगारी
सावन बीतो जाए..
***************
नातों के बन छोड़ के मोहे, राधा संग तुम रास रचाते
मंदिर मंदिर नाचूं गाऊं,  प्रिय तुम मोहे चीन्ह न पाते
जोबन बीतो जाए..
***************
करुण पुकार सुनी कान्हा ने, आए अरु मुस्काए
सुन प्रिय मोरी चाहत उसपे.. जो न स्वांग रचाए
बिन चाहत के आए...

2.8.11

इस लोगो के बारे में आप क्या जानते हैं

हिंट :- यह लोगो उस बात का बढ़ावा देता है जिसकी वज़ह से भारत में शिशु और बाल मृत्यु दर पर नियंत्रण रखा जा सकता है. आप क्या इस बारे में जानकारी जुटा कर  अजन्में बच्चों  की मदद करना चाहेंगे..
सबसे पहले सही जवाब देने वाले तीन विजेता हक़दार होगें सम्मान पत्र के जो जारी होगा महिला बाल विकास जबलपुर के संयुक्त-संचालक की ओर से

31.7.11

बिना रीढ़ वाले जन्तु

लगातार होती 
बारिश
भिगो देती है 
उन घरों को जमीन के भीतर 
बने होते हैं.
निकल आते है
उन से 
बिना रीढ़ वाले 
जन्तु 
सरे राह 
डस लेते हैं 
तभी उनको 
पूजने का त्यौहार आता है
अब तो 
जी हां
रोज़ पूजता हूं 
शायद बारिश 
बंद नही होती 
रात-दिन आज़कल ..!!

29.7.11

हर दिल अज़ीज़ समीरलाल को बधाईयां

"*****"    जबलपुर की सड़कों पर लम्ब्रैटा पर चलने वाला एक गोलमटोल  फ़ुर्तीला व्यक्ति अचानक गुम हो जाता है..सोचा कि मित्रों की चौकियों पर उसकी रपट लिखा दूं. लिखवाई भी तब किसी ने बताया .."अच्छा वो, हां फ़ारेन निकल गया "
           भाग्यवान लोग फ़ारेन जाते थे तब, हवाई जहाज़ में उड़कर विदेश जाना एक बड़ी बात होती थी. उससे भी बड़ी बात भारत में ही नौकरी लगना रात दिन एक करके हम भी नौकरी शुदा हो गये.शहर से बाहर हुए हम सच  भूल चुके थे कई लोगों को .भुलावे वाली उस सूची में ये गोल मटोल टाइप के महाशय भी शुमार हैं.न तो नाम याद रहा न पता बस इतना याद रहा कि एक अफ़सर का लड़का जो गोल मटोल शांत टाईप का आता था मित्र मंडलीयों में वो बाहर है. 
   जबलपुर के  सदर काफ़ी हाउस,सिटी काफ़ी हाउस,अन्ना वाला सदर का काफ़ी हाउस,   में पाई जाने वाली इस शख्शियत से मुलाक़ात कराने की ज़िम्मेदारी जबलपुरिया दोस्तों के सर रही है 87 से 89 के बीच किंतु 2007  में तो कमाल हो गया नेट से जुड़ा ब्लागिंग के साथ मेरा नाता कायम हुआ कि भाई से मुलाक़ात एक टिप्पणी ने कराई जो उडनतश्तरी की जानिब से थी. विदेश में बसी यह तश्तरी आज भी जबलपुरिया यादों से सजी हुई है.कुल मिला कर एक मधुर सुलझा दोस्त जो हरदिल अज़ीज़ है वोइच्च तो है समीरलाल ... जो आज़ अपना जन्म दिवस मना रहे हैं.    
अर्चना चावजी के साथ सुनिये उड़न तश्तरी वाले समीर लाल  की आवाज़

26.7.11

सन्नाटा...ख़ामोशी के संग

सन्नाटा बैठा हुआ .लिये..ख़ामोशी के संग .
तय मानो नज़दीक है.. सोच सोच में जंग
सोच सोच हो जंग, तभी सूरत बदलेगी
गुमसुम आंखों की, बाहें युद्ध की ख़ातिर मचलेगीं
कहें मुकुल कवि, युद्ध सदा बरकाओ
कानन देखी नाय, आंख से सब पढ़ आओ..!!

********************
ऊसर बोई आस्था,  हरियाए हर बाग,
स्वेद बूंद से जागते-अपने अपने भाग.
अपने-अपने भाग जगा के सब केऊ जागौ.
मीत अकारथ इतै उतै नै भागो.
कहैं मुकुल कविराय छोड़ दो आपा धापी
एक साध लौ आप सधैगी दुनियां बाक़ी.. 

21.7.11

सुनो छोटी सी गुड़िया की कहानी--

 आज पल्लवी का जन्मदिन है ..कौन पल्लवी ?? नहीं जानते ???



देखिये कहीं ये तो नहीं "......" या ये है पल्लवी 

 स्नेहिल मुस्कान बिखेरती पल्लवी सच बहुत गम्भीर भी है. उत्साह से भरी पल्लवी बिटिया से मिल कर ही जान पाएंगे

17.7.11

हमारी खामोशी के पीछे पनपता क्रांति का वातावरण..!!


भारत में आतंकवादियों को सज़ा के लिये लम्बी प्रकिया से एक ओर समूचा  हिंदुस्तान हताश  है तो दूसरी ओर  आतंकवाद को शह मिल रही हैतो इस मसले को गर्माए रखने के लिये काफ़ी है.यह सवाल भी भारतीय व्यवस्था  के सामने है कि क्या आतंकवादीयों के लिये ऐसे क़ानून नहीं बनाए जा सकते जिससे उनका तुरंत सफ़ाया हो सके.

   यदी  आम आदमीयों से ज़्यादा ज़रूरी है कसाब का  जीना तो होने दीजिये धमाके हमारी कीमत की क्या है. फ़िर दाग दीजिये एक जुमला "हम आतंकियों को नहीं छोड़ेंगे " हम अपनी व्यवस्था के दयालू होने की क़ीमत भी चुका देंगे...आपके इस  भारतीय-फ़लसफ़े को नुकसान न पहुंचाएंगे.  क्योंकि आप को हमारी बड़ी चिंता है जिसका उदाहरण ये भी है. हम तो वोट हैं जो एक टुकड़ा है कागज़ का, हम तो बाबू,मास्टर,स्कूली बच्चे, मिस्त्री, मुंशी, वगैरा वगैरा, हमारी कीमत ही क्या है.. हो जाने दो हमारी देह को चीथड़ों में तक़सीम किसी  हम जो रोटी के लिये पसीने को बहा देना अपना धर्म मानते हैं हम जो तुम सब की नीयत को पहचानते हैं तुम्हारे लिये हमसे कीमती जान उस आतंकी की है तो ठीक है बचा लो उसे पर याद रखना ये सौदा मंहगा साबित होगा   यदी एक बार हमें मौका   मिला तो सच बता देंगे सच-झूठ, न्याय-अन्याय का अर्थ.  देखो हमारे तेवर अब असाधारण हैं. हमारी खामोशी के पीछे   पनपता क्रांति का वातावरण है.. उसे देख  शायद  होश में आ जाओगे.. मुझे फ़िर भी यक़ीन नहीं कि तुम मुझे आज़ाद भारत में आज़ादी का गीत सुनाओगे.

  

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विश्व का सबसे खतरनाक बुजुर्ग : जॉर्ज सोरोस

                जॉर्ज सोरोस (जॉर्ज सोरस पर आरोप है कि वह भारत में धार्मिक वैमनस्यता फैलाने में सबसे आगे है इसके लिए उसने कुछ फंड...