आज एक कविता "अज्ञेय" जी की--- जो प्राप्त हुई है सिद्धेश्वर जी के सौंजन्य से... सच्चिदानंद हीरानंद वात्स्यायन सच्चिदानंद हीरानंद वात्स्यायन 'अज्ञेय' उपनाम: अज्ञेय जन्म: ७ मार्च १९११ कुशीनगर , देवरिया , उत्तर प्रदेश , भारत मृत्यु: ४ अप्रैल १९८७ दिल्ली , भारत कार्यक्षेत्र: कवि, लेखक राष्ट्रीयता: भारतीय भाषा : हिन्दी काल: आधुनिक काल विधा : कहानी , कविता , उपन्यास , निबंध विषय: सामाजिक , यथार्थवादी साहित्यिक आन्दोलन : नई कविता , प्रयोगवाद प्रमुख कृति(याँ): आँगन के पार द्वार , कितनी नावों में कितनी बार हस्ताक्षर: विकीपीडिया से साभार दीप अकेला - अज्ञेय यह दीप अकेला स्नेह भरा है गर्व भरा मदमाता पर इसको भी पंक्ति को दे दो यह जन है : गाता गीत जिन्हें फिर और कौन गायेगा पनडुब्बा : ये मोती सच्चे फिर कौन कृति लायेगा? यह समिधा : ऐसी आग हठीला बिरला सुलगायेगा यह अद्वितीय : यह मेरा : यह मैं स्वयं विसर्जित : यह दीप अकेला स्नेह भरा है गर्व भरा मदमाता पर इस को भी पंक्ति दे दो यह मधु है : स्वयं काल की मौना का युगसंचय यह गोरसः जीवन-कामधेनु का अमृत-प