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मंगलवार, जनवरी 03, 2012

ब्लाग-भूषण मिला, दाता का आभार : गिरीश बिल्लोरे

मुझे मुम्बई की जात्रा रद्द करनी पड़ी मुआ निमोनिया एन उस वक्त सामने आया जब कि अपने राम सपत्नीक जा रहे थे मुम्बई व्हाया नागपुर दिनांक 7 दिसम्बर 2011 की अल्ल सुबह किंतु देर रात तक खांसते-खांसते हालत हैदराबाद हुई जा रही थी. इधर मित्र गण काफ़ी खुश थे मुम्बई जात्रा से आऊंगा और सदर काफ़ी हाउस में एक लम्बी सिटिंग होगी.. बात-चीत के साथ साथ जलपान उदरस्थ करेंगे मिलजुल के ऐसा अमूमन होता ही है. पर गोया खड़ी फ़सल पे तुषारापात.. खैर माफ़ी नामा तो भाई मनीष मिश्रा जी से  अनिता कुमार जी से मांग ही चुका था पर ये क्या मन में बार बार एक ही विचार सुनामी की शक्ल ले रहा था -"वादे पे खरा न उतरा मैं उनसे क्या कहूंगा जिनने मेरे लिये समारोह में जगह बनाई" समयचक्र चलता रहा इस बात का दर्द कुछ कम हुआ पर नुकसान तो हुआ उतना नहीं जितना कि बीमार शरीर लेकर मुम्बई पहुंचता . शुक्रवार दि. 09 दिसंबर 2011 को सुबह 10 बजे से कल्याण पश्चिम स्थित के. एम. अग्रवाल कला, वाणिज्य एवम् विज्ञान महाविद्यालय में विश्वविद्यालय अनुदान आयोग संपोषित दो दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी सुनिश्चित थी।  ``हिन्दी ब्लागिंग : स्वरूप, व्याप्ति और संभावनायें।'' यह संगोष्ठी शनिवार 10 दिसंबर 2011 को सायं. 5.00 बजे तक चलनी थी इसके साथ मुझे 8 दिसम्बर 2011 को अनिता कुमार जी के स्नेहामंत्रण पर उनके चैम्बूर स्थित कालेज में वेब-कास्टिंग पर अपना प्रज़ेंटेशन देना था..
    मैने अपनी मराठी मित्र से अपना प्रज़ेंटेशन हिंदी से मराठी में ट्रांस्लेट करवा भी लिया था ताकि अनिता जी को किये वादे पर खरा उतरूं..  
  ईश्वर उतना ही देता है जितना जिसे मिलना चाहिये या कहूं जितना जिसके वास्ते तय होता है....!
 ऐसा इस वज़ह से कह रहा हूं क्यों कि मुझे मुम्बई में मिलना था कुछ निर्माताओं से, अपने आभास, श्रेयस से, मित्र देवेंद्र झवेरी जी से... रंजू दीदी से, काका से यानी कुल चार दिन भारी व्यस्त रहने वाले थे मिनिट-टू-मिनिट कार्यक्रम श्रीमति जी के साथ मिलके तय था खैर जो होता है अच्छा ही होता है .. वो अच्छा क्या था मुझे तब एहसास हुआ जब 07 दिसम्बर को इंदौर से एक फ़ोन संदेश मिला कि मेरे बड़े जीजाश्री गम्भीर रूप से बीमार हैं वैंटिलेटर पर रखा गया है उनको यद्यपि मैं तो जा न सका पर सारा परिवार वहां समय पर पहुंच चुका था..एक लम्बे संघर्ष के बाद वे सबकी दुआंओं और दवाओं के असर से  अब स्वस्थ्य हैं.  सच मेरी सबसे ज़्यादा ज़रूरत थी घर पर सबके साथ   
 31 दिसम्बर  2011  को  मनीष जी का भी कोरियर पाकर अभिभूत हूं इस कोरियर में "ब्लाग-भूषण" की उपाधि थी 

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