मित्रो वैज्ञानिक युग में किसी को भी पारा जीवों के अस्तिव पर यकीं नहीं होगा मुझे भी नहीं था राज़ भाटिया की तरह पर उनके अस्तित्व को नकारा नहीं जा सकता आज श्री राज दादाजी की आपबीती जो फेस बुक पर उनने भेजी है का प्रकाशन कर रहा हूँ ………राज जी जर्मनी में रहते है उनके ब्लॉग निम्नानुसार हैं
भूत प्रेत, आत्मा वगैरा को मै नहीं मानता था,लेकिन एक हादसा ऎसा हुआ कि आत्मा को मानने लगा, भूत प्रेत के बारे तो पता नही, मुझे कोमा से निकले करीब तीन
सप्ताह हो गये थे, लेकिन अभी भी अपने बिस्तर पर बिना
सहारे बैठ नही सकता था, शरीर पर एक बडा सा चोला ही था, जो मेरे घुटनो तक था, पानी का कप भी ऊठाने के लिये मुझे नर्स को सिंगनल दे कर बुलाना पडता था,
अभी भूख भी नही लगती थी, सारे दिन मे पानी ओर पानी ही
पीता था,
एक दिन दोपहर को करीब एक बजे मै जाग रहा था, लेकिन नर्से ओर डाक्टर उस समय आई सी यू मे यानि मेरे कमरे मे नही थे, तभी एक महिला डाक्टर की ड्रेस मे आई, जिसे मैने कमरे मे घुसते देखा, फ़िर वो सभी रजिस्टर को देखने लगी, दो चार बार उलट पलट के देखा, फ़िर उस ने कई दराज खोले, मै उसे चुपचाप देखता रहा, उस ने कुछ दवाये अपनी जेब मे डाली ओर चली गई, तभी उस के जाने के बाद डाक्टर और नर्से आ गई, मुझे उस महिला की हरकते अच्छी नही लगी, तो मैने डाक्टर को बुलाया सिगनल दे कर, डाक्टर जब मेरे पास आया तो मै उस महिला के बारे बताने लगा, डाक्टर ने कहा कि ऎसी कोई भी महिला इस अस्पताल मे नही है, तभी वही महिला फ़िर से कमरे मे आई, मैने डाक्टर को उस की तरफ़ इशारा कर के बताया कि वो फ़िर आ गई, डाक्टर ने मुड के देखा तो मुझे कहा वहां तो कोई नही, मैने कहा अरे वो देखो डाक्टर ने फ़िर देखा ओर मना किया कि वहां कोई नहीं, और मेरे सर पे हाथ फ़ेर कर चला गया.
अब वो महिला मेरे पास आई, मुझे वो महिला बिलकुल भी अच्छी नही लग रही थी, उस के बाल उस की आंखे, एक तरह से मुझे डर लग रहा था, मेरे पास आ कर वोली हाय, मैने भी जबाब मे हाय कह दिया, बोली तुम्हारा बडा अपरेशान हुआ है ना, मैने कहा हां, वोली दिखाओ, तो मैने कहा खुद देख लो मेरे मे हिम्मत नही, मेरी वाजू नहीं उठती, उस महिला ने मेरे चोला छाती से ऊपर किया तो मै थर थर कांपने लगा, मेरे सामने बाकी सभी लोग उस कमरे मे थे, लेकिन दूर थे,
एक दिन दोपहर को करीब एक बजे मै जाग रहा था, लेकिन नर्से ओर डाक्टर उस समय आई सी यू मे यानि मेरे कमरे मे नही थे, तभी एक महिला डाक्टर की ड्रेस मे आई, जिसे मैने कमरे मे घुसते देखा, फ़िर वो सभी रजिस्टर को देखने लगी, दो चार बार उलट पलट के देखा, फ़िर उस ने कई दराज खोले, मै उसे चुपचाप देखता रहा, उस ने कुछ दवाये अपनी जेब मे डाली ओर चली गई, तभी उस के जाने के बाद डाक्टर और नर्से आ गई, मुझे उस महिला की हरकते अच्छी नही लगी, तो मैने डाक्टर को बुलाया सिगनल दे कर, डाक्टर जब मेरे पास आया तो मै उस महिला के बारे बताने लगा, डाक्टर ने कहा कि ऎसी कोई भी महिला इस अस्पताल मे नही है, तभी वही महिला फ़िर से कमरे मे आई, मैने डाक्टर को उस की तरफ़ इशारा कर के बताया कि वो फ़िर आ गई, डाक्टर ने मुड के देखा तो मुझे कहा वहां तो कोई नही, मैने कहा अरे वो देखो डाक्टर ने फ़िर देखा ओर मना किया कि वहां कोई नहीं, और मेरे सर पे हाथ फ़ेर कर चला गया.
अब वो महिला मेरे पास आई, मुझे वो महिला बिलकुल भी अच्छी नही लग रही थी, उस के बाल उस की आंखे, एक तरह से मुझे डर लग रहा था, मेरे पास आ कर वोली हाय, मैने भी जबाब मे हाय कह दिया, बोली तुम्हारा बडा अपरेशान हुआ है ना, मैने कहा हां, वोली दिखाओ, तो मैने कहा खुद देख लो मेरे मे हिम्मत नही, मेरी वाजू नहीं उठती, उस महिला ने मेरे चोला छाती से ऊपर किया तो मै थर थर कांपने लगा, मेरे सामने बाकी सभी लोग उस कमरे मे थे, लेकिन दूर थे,
वो महिला मेरी छाती पर अपने नाखुन फ़िराने लगी तो पता नही कहां
से मेरे मुंह से बहुत जोर से चीख निकली मैने उसे कहा- मुझे अच्छा नही लग रहा, कृपया मुझे ढंक दो, उस ने मुझे ढंक दिया ओर वापिस चली गई उसी वक्त मेरे पास एक
नर्स आई बोली सब ठीक हे... मैने पूछा वो कौन है..? जो उस जगह खडी हे, लेकिन नर्स को भी वो नहीं दिखी, अब मुझे वहां डर लगने लगा था, लेकिन
वो महिला फ़िर नहीं आई, मैने सभी नर्सो से ओर डाक्टर से पूछा सब ने कहा – यहां ऎसी डाक्टर या नर्स यहां कोई नहीं है. उस दिन वो सिर्फ़ मुझे सारा समय दिखी किसी और को नहीं दिखी , जब कि मै उस समय होश मे था ओर
जाग रहा था....ओर उस ने मेरा नुकसान भी नही किया...... भूत प्रेत, आत्मा...????
आगामी पोस्ट में मेरा व्यक्तिगत अनुभव प्रतीक्षा कीजिये