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पलारी पटाखे और प्रदूषण

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न्यूज़ चैनल हल्ला मचाते हुए प्रदूषण पर बेहद टेंशन क्रिएट कर रहे हैं। यह उनकी जिम्मेदारी है और वह बखूबी अपनी जिम्मेदारी निभा रहे हैं। परंतु दिवाली के पटाखे पीएम 2.5 के लिए उत्तरदाई है अथवा एयर पोलूशन कास्ट 999 जो लगभग 1000 है यह चिंता जायज है। परंतु दुर्भाग्य इस बात का कि केवल दिवाली की आतिशबाजी को ही उत्तरदायित्व दिया जाता है। (मेरे मित्र समीर शर्मा अनिवासी भारतीय दुबई से इन दिनों अयोध्या और भारत भ्रमण के लिए आए हुए हैं) ने बताया कि जल्द ही अपनी लद्दाख यात्रा का विवरण सामने रखेंगे परंतु मोटी तौर पर सोनम वांगचुक से मुलाकात के बाद उन्होंने पाया कि पलारी को खाद में बदलने का सफल प्रयोग उन्होंने अपनी आंखों से देखा है।      इस संदर्भ में सोनम के प्रयासों को हाईलाइट करने एवं उसे जनता के बीच लाने की जरूरत है। यहां असहमति बिल्कुल नहीं है कि प्रदूषण में पटाखा जलाना एक अपने आप में प्रदूषण का कारक है। दिल्ली में लगभग सवा करोड़ गाड़ियों से उत्सर्जित प्रदूषण 41% पलारी जलने से 22% धूल से 35% शेष अन्य कारणों से होता है, पलारी का प्रदूषण  3-4 महीनों तक प्रदूषित करता  है।। स्थाई तौर पर फैक