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गुरुवार, फ़रवरी 20, 2014

ॐ नमो भगवते वासुदेवाय !!

               
साभार : Poetic Remnants से 

  हे देवर्षि "आप" इन दिनों भूमंडल के चक्कर काहे नहीं लगाते हो ?
           इंद्र की बात सुन नारद जी को अपना एडवांस टूर प्रोग्राम की सुध आई सो  हडबड़ा के उठे और वीणा करताल आदि गैजेट्स शरीर के साथ चस्पा कर बिना कुछ बोले चल पड़े ।
     सुदूर आकाश में नारायण नारायण की अनुगूंज बिखर रही थी क्षीरसागर नाथ ने लक्ष्मी से कहा - देवी आज गोया नारद को ए टी पी की एप्रूवड कापी मिल गई । पर एक बात समझ नहीं पा रहा हूँ कि स्वर्ग में कम्यूनिकेशन सिस्टम इतना कमजोर क्यों है ?
लक्ष्मी जी बोलीं- प्रभू नारद जी को इसी काम के लिए बोला था पर वो हैं कि अल्लसुबह से ही फेसबुक पर इत्ते बिजी हो जाते हैं कि कुछ पूछिए मत । फिर दिन भर ट्वीटते हैं ।
  अरे स्वर्ग में आपकी आज्ञा से एक मात्र ब्राडबैंड लगा है उससे भी पूरा किधर होता है । सारे देवता खासकर अप्सराएं आज़कल लाइफ़ स्टाइल फैशन साइट्स पर सर्फिंग करतीं नज़र आतीं हैं ।
      और देवता ......?
                               उनकी न पूछिये वो तो खैर जाने दीजिए नारद जी ने कहा था कि -"प्रभू, आपसे ट्विटर पर जुड़ा रहता पर वाट्सअप  कुछ समय के लिये फ़्री है .. आप भी डाउनलोड कर लीजिये फ़्री में संदेशों की आवाज़ाही हो जावेगी .
     इधर जाने कैसे  जी को  नारद जी के आगमन की खबर मिली कि झट वे ललित शर्मा जो चमचों को साधने में लगे हैं बस फ़िर क्या था हो गया हंगामा . को पता नहीं विष्णु भगवान और नारद जी की वार्तालाप का पता लगा कि बस्स एलान कर दिया - अपनी भैंस और मिस.रामप्यारी  के सामने- बोल दिये . बोले का कि सारे बड़का-छुटका ब्लागरन, माइक्रो ब्लागरन, फ़ेसबुकियन में हो हल्ला मच गया.
                 नारद के आते ही लोग उनके एकाऊंट पर ट्वीट करते नज़र आए .इधर नारद जी ने वाट्सअप के रास्ते प्रभू को संदेशा भेजा -"प्रभू, देश में सर्वत्र अमन चैन है पर..."
प्रभू- पर क्या नारद ...?
नारद बोले प्रभू - राजनगरी में झाड़ू चल रही है.. एक विशाल भवन में तरह तरह की आवाज़ें आ रहीं हैं.. सुना है किसी मानव ने एक स्प्रे की बोतल खोल दी ...
अर्र्र प्रभू ... एक प्रदेश में तो एक एक गण वस्त्र उतार रहा है..
         प्रभू ने संदेशा बांच के लक्ष्मी जी को सुनाया . और वही मनमोहनी मुस्कान बिखेर दी बिना कुछ बोले . फ़िर अचानक बोले - हे देवी, अब क्षीरसागर में काफ़ी दिन व्यतीत कर लिये .. मानव प्रज़ाति आपकी अनुपस्थिति में बेहद पीढा भोग रही है . जाओ सबका कल्याण करो .
और आप प्रभू...?
        हम तो सब पर इधर से ही नज़र रखेंगे ?
  प्रभू इधर से नज़र ...  क्षमा कीजिये नेट कनेक्शन भी कमज़ोर है.. ड्राप हो जाता है.. उधर वेबकास्टर   भी अस्थमेटिक हमले का शिकार है .. आप तो चलिये आर्यावर्त्य जहां संतुलन की अत्यंत आवश्यकता प्रतीत होती है.
              प्रभू ने लक्ष्मी जी की बात स्वीकार ली और चल पड़े ... धरा पर वैसा ही सब कुछ था जैसा कि नारद जी ने बताया ... लोग सुबह से अपने अपने कामकाज़ पे निकलते देर रात घर वापस आते पर सभी क्या अधिकांश लोग सुबह से "नमो-नमो" की ध्वनियां निकालते . प्रभू अति प्रसन्न हुए
इस पर लक्ष्मी जी ने प्रश्न किया  - "प्रभू ॐ नमो भगवते वासुदेवाय " से सिर्फ़ एक ही शब्द क्यों उच्चारित हो रहा है..?
      प्रभू असमंजस में थे कि - नारद जी ने संदेशा भेजा .. प्रभू आप किधर है ?
भूमंडल पर ही तो हूं.. देवी लक्ष्मी भी साथ हैं.   तत्क्षण प्रभू को अपनी वीणा पर लगे रडार पर पाकर देवर्षि प्रत्यक्ष हुए ...
   प्रभू विस्मित भाव से बोल पड़े - नारदजी ..... "आप"
   नारद जी - प्रभू, यहां "आप" शब्द का प्रयोग न करें बस नमो कहें.. नमो...!!
               प्रभू क्या बताऊं , यहां का मानव बेहद कंफ़्यूज़ है जब बाहर निकलता है तो "आप" और "नमो" शब्दों का अनुप्रयोग सम्हलकर करता है.
तो पूरा ॐ नमो भगवते वासुदेवाय !! क्यों नहीं बोलता... मानव... ? प्रभू ने पूछा
नारद- प्रभू, भागो भागो पीछे देखो कंधे पे कैमरा लटकाए लोग आपकी तरफ़ आ रहे हैं..! तत्क्षण प्रसारित हो जाएगें आपके कहे शब्द और फ़िर आप किस किस को ज़वाब देते फ़िरेंगे. यहां इंद्रासन के लिये चुनाव प्रक्रिया ज़ारी होने वाली है. आप फ़ंसे तो  इस सृष्टि का क्या होगा ..?
प्रभू - पलायन करने पर बचेगा क्या ये जम्बू द्वीप..?
नारद- प्रभू, आज़तक बचा है तो बचेगा ही न .. इसकी अखण्डता को कौन खण्डित कर सकता है . सत्तालयों में जो भी कुछ होता है वो इन मानवों के लिये फ़िज़ूल की बातें हैं.. ये महान परिश्रम  से देश को बचाते हैं..
सत्तालय जाने के लिये कुछ लोग सिर्फ़ मुंह चलाते हैं..   मुंह चलाने से देश चलता है क्या..
        देवी लक्ष्मी विष्णु भगवान और नारद को भूमंडल के वातावरणवश भूख लग आई.. एक किसान के झोपड़े से आती रोटियों की गंध ने उनको अपनी ओर खींचा प्रभू ने झोपड़ी में जा सदतगृहस्थ से भूख लगने की बात कही . अतिथि देवो भव: का अनुसरण करते तीनों को भोजन परोसा गया.. तृप्ति उपरांत तीनों अंतर्ध्यान हो गये पर किसान को वरदान दे गये न तुम भूखे रहोगे न अतिथि .. अन्नदेव ...

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