गिलगित - बालित्स्तान की सांस्कृतिक समारोह की तस्वीर पाकिस्तान के कितने टुकड़े होंगे ये तो आने वाला समय बताएगा किन्तु ये तयशुदा है जम्हूरियत पसंदगी आज के दौर की सबसे बड़ी ज़रूरत है और आम नागरिक को प्रजातंत्र के लिए अधिक आकर्षण समूचे विश्व के चप्पे चप्पे में पसंद आ रहा है. और यही भावना आने वाले दौर को और अधिक सशक्त बनाएगी. इसी जम्हूरियत पसंदगी के चलते वे सारे राष्ट्र जहां जम्हूरियत का नामोंनिशान नहीं है उन देशों के राष्ट्र प्रमुखों को खासतौर पर सोचना ज़रूरी है जो धर्माधारित राष्ट्र के प्रमुख हैं अथवा किसी धार्मिक राष्ट्र की संस्थापना के चिन्तन में हैं.वे सभी भी जो सभी धर्मों को उपेक्षा भाव से देखते हुए केवल ख़ास विचारधारा को जनता पर लादते हैं. अर्थात प्रजातंत्र जहां धर्म संस्कृतियों को सहज स्वीकारने और अपने तरीके से जीने का अधिकार जो राज्य देता है जनता उस राज्य की नागरिकता अधिक पसंद करेंगे . और विश्व में भारतीय लोकतांत्रिक प्रणाली के अधिकाँश अध्याय जुड़ेंगे . लोग उसे सहर्ष स्वीकारेंगे . भारत में हिंदुत्व नामक कोई अवधारणा या विचारधारा नहीं है बल्कि सनातन सामाजिक व्यवस्था है. जो इतन