परसाई जी का दुर्लभ छाया चित्र फ़ोटो : स्व०शशिन यादव |
हरिशंकर परसाई (२२ अगस्त, १९२२ - १० अगस्त, १९९५) हिंदी के प्रसिद्ध लेखक और व्यंग्यकार थे। उनका जन्म जमानी, होशंगाबाद, मध्य प्रदेश में हुआ था। वे हिंदी के पहले रचनाकार हैं जिन्होंने व्यंग्य को विधा का दर्जा दिलाया और उसे हल्के–फुल्के मनोरंजन की परंपरागत परिधि से उबारकर समाज के व्यापक प्रश्नों से जोड़ा। उनकी व्यंग्य रचनाएँ हमारे मन में गुदगुदी ही पैदा नहीं करतीं बल्कि हमें उन सामाजिक वास्तविकताओं के आमने–सामने खड़ा करती है, जिनसे किसी भी व्यक्ति का अलग रह पाना लगभग असंभव है। लगातार खोखली होती जा रही हमारी सामाजिक और राजनॅतिक व्यवस्था में पिसते मध्यमवर्गीय मन की सच्चाइयों को उन्होंने बहुत ही निकटता से पकड़ा है। सामाजिक पाखंड और रूढ़िवादी जीवन–मूल्यों की खिल्ली उड़ाते हुए उन्होंने सदैव विवेक और विज्ञान–सम्मत दृष्टि को सकारात्मक रूप में प्रस्तुत किया है। उनकी भाषा–शैली में खास किस्म का अपनापा है, जिससे पाठक यह महसूस करता है कि लेखक उसके सामने ही बैठा है। (साभार विकी)
परसाई जी की रचनावलियों को टेक्स्ट में आपने देखा किंतु ब्लाग की सहस्वामिनी एवम पाडकास्टर अर्चना चावजी नें इसका पाडकास्ट तैयार कर प्रस्तुत किया है.मित्रो परसाई जी के शहर जबलपुर में उनकी अनुमति के बगै़र उनकी सेव की गई पोस्ट में टेक्स्ट-कंटैंट्स डाल रहा हूं.. आशा है वे नाराज़ न होंगी..
इसे सुनिये ब्लागप्रहरी पर भी "इधर" अर्चना जी की आवाज़ में
कुछ व्यंग्य परसाई जी के जो हम इधर से लाएं हैं परसाई जी की चुनिंदा व्यंग्य रचनाएं