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शुक्रिया दोस्तो जी चुका हूं आधी सदी..!

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                       ___________________________                                                 पचास वर्ष की आयु पूर्ण करने के                                           अवसर                                     "आत्म-कथ्य"                        ___________________________                         जी चुका हूं आधी सदी … मैं खुद से हिसाब मांगूं.. न ये ज़ायज़ बात नहीं. जो मिला वो कम न था.. जो खोया.. वो ज़्यादा भी तो नहीं खोया है न.. ! खोया पाया का हिसाब क्यों जोड़ूं . तुम चाहो तो मूल्यांकन के नाम पर ये सब करो . मुझे तुम्हारे नज़रिये से जीना नहीं . हार-जीत, सफ़ल-असफ़ल, मेरे शब्दकोष में नहीं हैं. न मैं कभी हारा न कभी जीता . जिसे तुमने मात दी थी सरे बाज़ार मुझे रुसवा किया था . लोग उसे तुम्हारे साथ भूल गए … हर ऐसी कथित हार के बाद मुझे रास्ते ही रास्ते नज़र आए और .. फ़िर मुझमें अनंत उत्साह भर आया . हर हार के बाद तेज़ हुई है जीने की आकांक्षा भरपूर जी रहा हूं. ग़ालिब ने सच ही तो कहा था शायद मेरा नज़रिया भी वही है – “बाज़ीचा-ए-अतफ़ाल है दुनिया मेरे आगे” आप सब खेलो बच्चों