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जबलपुरिया होली : ढोलक-मंजीरे की थाप तो गोया थम ही गईं

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टिमकी वाली फ़ाग न सुन पाने का रंज गोलू भैया यानी जितेंद्र चौबे को भी तो है                   होली की हुल्लड़ का पहला सिरा दूसरे यानी आखिरी सिरे से बिलकुल करीब हो गया है यानी बस दो-चार घण्टे की होली. वो मेरा ड्रायवर इसे अब हादसा मानने लगा है. कह रहा था :-"बताईये, त्यौहार ही मिट गये शहरों का ये हाल है तो गांव का न जाने क्या होगा. " उसका कथन सही है. पर उसके मन में तनाव इस बात को लेकर था कि शुक्रवार  को मैने उसे समय पर नहीं छोड़ा. होलिका दहन के दिन वो चाह रहा था कि उसे मैं इतना समय दूं कि वो दारू-शारू खरीद सके समय रहते. मुन्नी की बदनामी पे नाचना या शीला की ज़वानी पर मटकना होगा... उसे.               यूं तो मुझे भी याद है रंग पंचमी तक किसी पर विश्वास करना मुहाल था दसेक बरस पहले. अगले दिन के अखबार बताते थे कि फ़ंला मुहल्ले में तेज़ाब डाला ढिकां मुहल्ले में चाकू चला.अपराधों का बंद होना जहां शुभ शगुन है जबलपुरिया होली के लिये तो दूसरी तरफ़ ढोलक-मंजीरे की थाप तो गोया थम ही गईं जिसके लिये पहचाना जाता था मेरा शहर अब बरसों से फ़ाग नहीं सुनी....इन कानों ने. अब केवल शीला मुन्नी का शोर स

ब्लागवाणी "बवाल की मनुहार या धमाल"

प्रिय बवाल जी आपका आलेख देखा समीर भाई की आपके आलेख पर चिन्ता जायज है. आप स्पष्ट कीजिए अपने कथन को..........? सूरज तो रोज़ निकलेगा दिनचर्या सामान्य सी रहेगी, किन्तु सूर्योदय पर "करवा-चौथ" की पारणा का संकल्प लेना कहां तक बुद्धिमानी होगी. ब्लागवाणी का बंद होना हिन्दी ब्लागिंग के नेगेटिव पहलू का रहस्योदघाट्न करता है. हिन्दी चिट्ठों के संकलकों की सेवाएं पूर्णत: नि:शुल्क अव्यवसायिक है जिसकी वज़ह से आज़ सोलह हज़ार से ज़्यादा चिट्ठे सक्रिय हैं......न केवल ब्लागवाणी बल्कि चिट्ठाजगत का भी विशेष अविस्मरणीय अवदान है.जो साधारण ब्लागर के लिए उस मां के अवदान की तरह है जो सेवाएं तो देती है किंतु इस सेवा के पेटे कोई शुल्क कभी नहीं लेती..... यदि यह बुरा है तो संकलकों के विरोधी सही हैं....उनकी बात मान के सब कुछ तहस नहस कर दिया जाए मुझे लगता है कि संकलकों के पीछे जो लोग काम करतें हैं वे समय-धन-उर्ज़ा का विनियोग इस अनुत्पादक कार्य के लिए क्यों कर रहें हैं........... शायद उनकी भावना "हिन्दी-ब्लागिंग" को उंचाईयां देना ही है......... मेरी तुच्छ बुद्धि तो यही कह रही है आपकी पोस्ट में आपने