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शुक्रवार, फ़रवरी 26, 2010

धोनी ने जिस कुएं का पानी पिया वो अदा जी के घर में ही

स्वप्न मंजूषा 'शैल' 
छवि साभार :  क्वचिदन्यतोअपि..........!
https://mail.google.com/mail/?ui=2&ik=f28b6629c4&view=att&th=1270adc2653ef6e0&attid=0.1&disp=inline&realattid=f_g63pkyqp0&zw अदा जी के प्रोनाउन [सर्वनाम] 



अदा जी से हुई बात चीत में हुए खुलासे 
  • रांची में अदा जी और धोनी ने जिस कुएं का पानी पीया है वो अदा जी के घर में ही 
  • अदा जी से  विवाह के लिए उनके पिता जी को आवेदन पत्र पेश किया था संतोष जी ने 
  • अदा जी  मिमिक्री आर्टिस्ट एंकर प्रोड्यूसर और पिछले छै महीने से हिन्दी-ब्लॉगर भी हैं 
  • अदा जी कविता,गज़ल,नृत्य,नाट्य,ध्वनि-आधारित कला साधिका हैं 
अदा  जी  को कनाडा सरकार ने सम्मानित किया
    यकींन न  हो तो खुद ही सुनिए 

    गुरुवार, फ़रवरी 25, 2010

    आज समीर भाई जम के पियेंगे

    समीर जी का होली हंगामा
    वैसे तो मुझको पसंद नहीं
    मित्रों, यह कोई कविता नहीं और न ही स्पष्टीकरण है.बस एक मजबूर का मजबूरियों का बखान है.
    जिस मूड़ में लिखी गई है, उसी मूड में पढ़िये और आनन्द उठाईये.
    इस मजबूरी में अन्तिम छंद चिट्ठाकारी को समर्पित है.
    जब चाँद गगन में होता है
    या तारे नभ में छाते हैं
    जब मौसम की घुमड़ाई से
    बादल भी पसरे जाते हैं
    जब मौसम ठंडा होता है
    या मुझको गर्मी लगती है
    जब बारिश की ठंडी बूंदें
    कुछ गीली गीली लगती हैं
    तब ऐसे में बेबस होकर
    मैं किसी तरह जी लेता हूँ
    वैसे तो मुझको पसंद नहीं
    बस ऐसे में पी लेता हूँ.
    जब मिलन कोई अनोखा हो
    या प्यार में मुझको धोखा हो
    जब सन्नाटे का राज यहाँ
    और कुत्ता कोई भौंका हो
    जब साथ सखा कुछ मिल जायें
    या एकाकी मन घबराये
    जब उत्सव कोई मनता हो
    या मातम कहीं भी छा जाये
    तब ऐसे में मैं द्रवित हुआ
    रो रो कर सिसिकी लेता हूँ
    वैसे तो मुझको पसंद नहीं
    बस ऐसे में पी लेता हूँ.
    जब शोर गुल से सर फटता
    या काटे समय नहीं कटता
    जब मेरी कविता को सुनकर
    खूब दाद उठाता हो श्रोता
    जब भाव निकल कर आते हैं
    और गीतों में ढल जाते हैं
    जब उनकी धुन में बजने से
    ये साज सभी घबराते हैं
    तब ऐसे में मैं शरमा कर
    बस होठों को सी लेता हूँ
    वैसे तो मुझको पसंद नहीं
    बस ऐसे में पी लेता हूँ.
    जब पंछी सारे सोते हैं
    या उल्लू बाग में रोते हैं
    जब फूलों की खूशबू वाले
    ये हवा के झोंके होते हैं
    जब बिजली गुल हो जाती है
    और नींद नहीं आ पाती है
    जब दूर देश की कुछ यादें
    इस दिल में घर कर जाती हैं
    तब ऐसे में मैं क्या करता
    रख लम्बी चुप्पी लेता हूँ
    वैसे तो मुझको पसंद नहीं
    बस ऐसे में पी लेता हूँ.
    चिट्ठाकारी विशेष:
    जब ढेरों टिप्पणी मिलती हैं
    या मुश्किल उनकी गिनती है
    जब कोई कहे अब मत लिखना
    बस आपसे इतनी विनती है
    जब माहौल कहीं गरमाता हो
    या कोई मिलने आता हो
    जब ब्लॉगर मीट में कोई हमें
    ईमेल भेज बुलवाता हो.
    तब ऐसे में मैं खुश होकर
    बस प्यार की झप्पी लेता हूँ
    वैसे तो मुझको पसंद नहीं
    बस ऐसे में पी लेता हूँ.

    --समीर लाल 'समीर'

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