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भीष्म पितामह के तर्पण के बिना श्राद्ध कर्म अधूरा क्यों ?

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      गंगा और शांतनु के पुत्र देवव्रत ने शपथ ली कि मुझे आजीवन ब्रह्मचर्य का पालन करना है तो यह पूछा कि उसे कोई आशीर्वाद मिले . हस्तिनापुर की राजवंश की रक्षा अर्थात संपूर्ण राष्ट्र की रक्षा का दायित्व लेकर ब्रह्मचारी भीष्म पितामह के नाम से प्रसिद्ध हुए इस पर बहुत अधिक विवरण देने की जरूरत नहीं है। आप सभी इस तथ्य से परिचित ही है .         भीष्म पितामह को श्राद्ध पक्ष में याद क्यों किया जाता है यह महत्वपूर्ण सवाल है ?      सुधि पाठक आप जानते हैं कि महाभारत धर्म युद्ध होने के एक कौटुंबिक युद्ध भी था ! क्योंकि इसमें पारिवारिक विरासत का राज्य एवं भूमि विवाद शामिल था। ध्यान से देखें तो हस्तिनापुर पर दावा तो पांडव कब का छोड़ चुके थे। महायोगी कृष्ण के संपर्क में आकर उन्होंने मात्र 5 गांव मांगे थे। परंतु कुटुंब में युद्ध सभी होते हैं जबकि अन्याय सर चढ़कर बोलता है। विधि व्यवसाय से जुड़े विद्वान जानते हैं कि सर्वाधिक सिविल मामले न्यायालयों में आज भी  रहते हैं। महाभारत का स्मरण दिला कर हमारे  पुराणों के रचनाकारों ने यह बताने की कोशिश की है कि कौटुंबिक अन्याय हमारे पूर्वजों पर ही भारी