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21.7.11

सुनो छोटी सी गुड़िया की कहानी--

 आज पल्लवी का जन्मदिन है ..कौन पल्लवी ?? नहीं जानते ???



देखिये कहीं ये तो नहीं "......" या ये है पल्लवी 

 स्नेहिल मुस्कान बिखेरती पल्लवी सच बहुत गम्भीर भी है. उत्साह से भरी पल्लवी बिटिया से मिल कर ही जान पाएंगे

1.11.10

एक गज़ल ---गिरीश पंकज जी की

एम.ए (हिंदी), पत्रकारिता (बी.जे.) में प्रावीण्य सूची में प्रथम,लोककला संगीत में डिप्लोमा. पैतीस सालों से साहित्य एवं पत्रकारिता में समान रूप से सक्रिय. -सदस्य-साहित्य अकादेमी, दिल्ली/प्रांतीय अध्यक्ष-छत्तीसगढ़ राष्ट्र्भाषा प्रचार समिति -बत्तीस पुस्तकें प्रकाशित: तीन व्यंग्य- उपन्यास- मिठलबरा की आत्मकथा, माफिया, और पालीवुड की अप्सरा. आठ व्यंग्य संग्रह- ईमानदारों की तलाश, भ्रष्टाचार विकास प्राधिकरण, ट्यूशन शरणम गच्छामि, मेरी इक्यावन व्यंग्य रचनाएँ, मूर्ति की एडवांस बुकिंग, हिट होने के फार्मूले, नेता जी बाथरूम में, एवं ''मंत्री को जुकाम''., नवसाक्षरों के लिये चौदह पुस्तकें बच्चो के लिये चार किताबें, एक हास्य चालीसा, दो ग़ज़ल संग्रह. -कर्णाटक एवं मध्यप्रदेश में दो लोग गिरीश पंकज के व्यंग्य-साहित्य पर पीएच.डी. कर रहे है.प्रवास-अमरीका, ब्रिटेन, त्रिनिदाद, मारीशस आदि लगभग दस देशो का प्रवास. -
ईमेल- girishpankaj1@gmail.com 

आज दिजिये गिरीश पंकज जी को जन्मदिन की बधाई व सुनिये उनकी एक गज़ल ------





पंकज जी की  ग़ज़लें उनकी इस साईट पर उपलब्ध हैं

25.10.10

"जन्म दिन मुबारक़ हो अर्चना चावजी !!"

अर्चना चावजी
एक ब्लागर एक गायिका एक संघर्ष शील नारी जो दृढ़्ता का पर्याय है.... उनके ब्लाग "मेरे मन की " में वो सब है जो उनका एक परिचय यहां भी दर्ज़ है यानि उनकी बहन रचना बजाज  के ब्लाग "मुझे भी कुछ कहना है " पर. अर्चना जी, रचना जी, भाई देवेन्दर  जी , सबको गोया  शारदा मां ने कंठ वाणी में खुद शहद से "मधुरता" लिख दी है. मेरे ब्लाग की सह लेखिका अर्चना जी को हार्दिक शुभ कामनाएं.
                                                      
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            TO "ARCHANA CHAVAJI"

29.9.08

लावण्यम्` ~अन्तर्मन्` पर लता जी का जन्म दिन










<=स्वर्गीय इश्मित सिंह और लता मंगेशकर जी







भारत रत्न लता जी

: लावण्यम्` ~अन्तर्मन्`पर प्रकाशित पोस्ट ,सुश्री लता मंगेशकर जी , , के ७९ वें जन्म दिन पर बेहद भावपूर्ण,सूचना प्रद,संस्मरण,सा मनोहारी बन पड़ी है।

दीदी लता जी के प्रति आपकी भावनाएं एक करोड़ भारतीयों की भावनाएं हैं आपको सादर नमन

मेरी और से स्वर साधिका को समर्पित कविता
सुर सरगम से संयोजित युग
तुम बिन कैसे संभव होता ?
कोई कवि क्यों कर लिखता फिर
कोयल का क्यों अनुभव होता...?
****************
विनत भाव से जब हिय पूरन
करना चाहे प्रभु का अर्चन.
ह्रदय-सिन्धु में सुर की लहरें -
प्रभु के सन्मुख पूर्ण समर्पण ..
सुर बिन नवदा-भक्ति अधूरी - कैसे पूजन संभव होता ?
*********************
नव-रस की सुर देवी ने आके
सप्तक का सत्कार किया !
गीत नहीं गाये हैं तुमने
धरा पे नित उपकार किया!!
तुम बिन धरा अधूरी होती किसे ब्रह्म का अनुभव होता ..?

**गिरीश बिल्लोरे मुकुल

Wow.....New

धर्म और संप्रदाय

What is the difference The between Dharm & Religion ?     English language has its own compulsions.. This language has a lot of difficu...