सखियां फ़िर करहैं सवाल- रंग ले अपनई रंग में..!! (बुंदेली प्रेम गीत )
नीरो नै पीरो न लाल रंग ले अपनई रंग में ..!! ********* प्रीत भरी पिचकारी नैनन सें मारी मन भओ गुलाबी , सूखी रही सारी. हो गए गुलाबी से गाल रंग ले अपनई रंग में ..!! ********* कपड़न खौं रंग हौ तो रंग छूट जाहै तन को रंग पानी से तुरतई मिट जाहै सखियां फ़िर करहैं सवाल- रंग ले अपनई रंग में..!! ********* प्रीत की नरबदा मैं लोरत हूं तरपत हूं तोरे काजे खुद सै रोजिन्ना झगरत हूं मैंक दे नरबदा में जाल – रंग ले अपनई रंग में..!! ********