नीरो नै पीरो न लाल
रंग ले अपनई रंग में ..!!
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प्रीत भरी पिचकारी नैनन सें मारी
मन भओ गुलाबी, सूखी रही सारी.
हो गए गुलाबी से गाल
रंग ले अपनई रंग में ..!!
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कपड़न खौं रंग हौ तो रंग छूट जाहै
तन को रंग पानी से तुरतई मिट जाहै
सखियां फ़िर करहैं सवाल-
रंग ले अपनई रंग में..!!
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प्रीत की नरबदा मैं लोरत हूं तरपत हूं
तोरे काजे खुद सै
रोजिन्ना झगरत हूं
मैंक दे नरबदा में जाल –
रंग ले अपनई रंग में..!!
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