आलेखों से आगे ..... भारतीय राज्य व्यवस्था के स्वरुप की एक
और झलक
इस आलेख में देखिये
भारत की धर्म निरपेक्षता एवं सहिष्णुता आज की
नहीं है बल्कि अति-प्राचीन है . भारतीय सनातनी व्यवस्था के चलते किसी की वैयक्तिक आस्था
पर चोट नहीं करता यह सार्वभौमिक पुष्टिकृत तथ्य है इसे सभी जानते हैं . जबकि विश्व
के कई राष्ट्र सत्ता के साथ आस्था के विषय पर भी कुठाराघात करने में नहीं चूकते.
कुछ दिनों से विश्व को भारत के नेतृत्व में कुछ नवीनता नज़र आ रही है ... श्रीमती
सुषमा स्वराज ने अपनी एक अभिव्यक्ति में कहा कि- संस्कृत में "वसुधैव कुटम्बकम" की अवधारणा
है. उनका यह उद्धरण इस बात की पुष्टि है कि भारत की सनातनी व्यवस्था में वृहद
परिवार की परिकल्पना बहुत पहले की जा चुकी. भारतीय सम्राट न तो
धार्मिक आस्थाओं पर कुठाराघात करने के उद्देश्य के साथ राज्य
के विस्तारक हुए न ही उनने सेवा के बहाने धार्मिक विचारों को
छल पूर्वक विस्तारित किया .
जबकि न केवल इस्लाम बल्कि अन्य कई धर्म तलवार या व्यापार के
बूते विस्तारित हुए . आज भी जब पाक-आधित्यित-काश्मीर के शरणार्थी भारत आए तो
राष्ट्र ने उनके जीवन को पुनर्व्यवस्थित करने 5 लाख रूपयों की राशि प्रदान करने की
व्यवस्था की है . इसे सहिष्णुता ही कहेंगे जबकि चीन जैसे कम्युनिष्ट राष्ट्र ने
डोकलाम के मुद्दे पर विश्व और खुद जनता को गुमराह करने राष्ट्रवाद को हिन्दू
राष्ट्रवाद का नाम दिया . भारत के राष्ट्रवादी चिंतन को बीजिंग से परिभाषा दी जावे
इसके मायने साफ़ हैं कि बीजिंग भी अन्य धार्मिक आस्थाओं को उकसाने की फिराक में हैं
.
अमेरिकन फांसीसी व्यक्वास्थाएं अब घोर राष्ट्रवादियों के
हाथ में हैं उसे क्या परिभाषा दी जावेगी ये तो साम्यवादी राष्ट्र के विचारक ही बता
सकतें हैं पर यहाँ साफ़ तौर पर एक बात स्पष्ट होती है कि साम्यवादी राष्ट्र
से जो भाषा हम, तक आ रहीं हैं वो साम्यवादी
तो कतई नहीं हैं .
भारत के राष्ट्रवाद को हिन्दू
राष्ट्रवाद कहना चीन की सबसे बड़ी अन्यायपूर्ण अभिव्यक्ति है इस ओर विचारकों का
ध्यान जाना अनिवार्य है .
आज़कल लोगों के मन में एक सवाल निरंतर कौंध रहा है कि क्या चीन भारत के बीच युद्द होगा ..?
मेरे दृष्टिकोण से कोई भी स्थिति ऐसी नहीं है कि चीन और भारत के मध्य युद्ध हो.. युद्ध किसी भी स्थिति में चीन के लिए लाभदायक साबित नहीं होगा इस बात का इल्म चीन की लीडरशिप को बखूबी है. पर चीन का जुमले उछालने का अपना शगल है. मेरी नज़र में चीन उस पामेरियन सफ़ेद कुत्ते की तरह बर्ताव कर रहा है जो घर में आए मेहमान पर जितना भौंकता है उतना ही पीछे पीछे खिसकता है. यह राष्ट्र अपनी विचारधारा के चलते भय का वातावरण निर्मित करने में लगा है.