काट लूं साले कुत्तों को और खबर बन जाऊं
खजाना पर देर छापे आलेख का पुनर्प्रकाशन उस दिन शहर के अखबार समाचार पत्रों में रंगा था समाचार मेरे विरुद्ध जन शिकायतों को लेकर हंगामा, श्रीमान क के नेतृत्व में आला अधिकारीयों को ज्ञापन सौंपा गया ?नाम सहित छपे इस समाचार से मैं हताशा से भर गए उन बेईमान मकसद परस्तों को अपने आप में कोस रहा था किंतु कुछ न कर सका राज़ दंड के भय से बेचारगी का जीवन ही मेरी नियति है. एक दिन मैं एक पत्रकार मित्र से मिला और पेपर दिखाते हुए उससे निवेदन किया -भाई,संजय इस समाचार में केवल अमुक जी का व्यक्तिगत स्वार्थ आपको समझ नहीं आया ? आया भाई साहब किंतु , मैं क्या करुँ पापी पेट रोटी का सवाल है जो गोल-गोल तभी फूलतीं हैं जब मैं अपने घर तनखा लेकर आता हूँ…..! तो ठीक है ऐसा करो भइयाजी,मेरी इन-इन उपलब्धियों को प्रकाशित कर दो अपने लीडिंग अखबार में ! ये कहकर मैने अपनी उपलब्धियों को गिनाया जिनको सार्वजनिक करने से कल तक शर्माते था . उनकी बात सुन कर संजय ने कहा भैयाजी,आपको इन सब काम का वेतन मिलता है ,कोई अनोखी बात कहो जो तुमने सरकारी नौकर होकर कभी की हो ? मैं -अनोखी बात…….? संजय ने पूछा -अरे हाँ, जिस बात को ल