ओह निप्पन हम हतप्रभ,स्तब्ध चकित तुमको देख रहें
ओह निप्पन हम हतप्रभ,स्तब्ध चकित तुमको देख रहें कितने दर्द तुम्हारे भाग में लिक्खे गये हिरोशिमा तथा नागासाकी वाले निप्पन अमेरिका का कहर भोगने के जी उठने वाले निप्पन तरक्की किसे कहते हैं हर हार के बाद सिखाते हो शोक गीत से शायद ही धीरज मिले….तुमको जो 66 बरस बाद एक बार फ़िर शोक में डूबा देख मेरे मन में सुनामी सा उठ रहा है बार बार सैलाब ओ द्वीपों वाले देश सुनामी को तुम ही जानते हो तुम्ही ने उसे नाम भी दिया तुम कितना भोगते हो पैगोडाओं में रखे उन अवशेषों को भी सुनामी ने निगला तो होगा उन अवशेषों की वापस तथागत से मांगते हम तुम्हारा साहस "साहस" जिस के तुम पर्याय हो होक्काइडो , होन्शू , शिकोकू तथा क्यूशू सहित ६८०० द्वीपों की पीढा के सहने की शक्ति मिले तुमको उफ़ निप्पन तुम रेडियेशन के दुष्प्रभाव की प्रयोगशाला बनते हो सदा हम हैं तुम्हारे साथ मन में है भाव आर्त क्या कहा..? राज़नैतिक विश्व ? नहीं अब ज़रुरत है मानवीय-विश्व की जहां न सीमाएं हैं न शख्सियतें जो न जाने क्यों विकास के नाम पर गाल-बजातीं हैं खतरों की फसलें उगातीं हैं