जब भी तन्हां हुए तुझसे रूबरू हुए
बरसों हुए - बज़्म हुए ,गुफ़्तगूं हुए !!
आए हैं जबसे सामने धुआंधार हम तेरे-
थमते गए तूफ़ां वो बेआबरू हुए !!
कुछ बेवकूफ़ रोज़ मिला करतें हैं मुझे
कल है रविवार हम भी बा-सुकू़ं हुए.
बेवज़ह चापलूसी का ईनाम मिला यार-
कुछ इस तरह एक से चार हम हुए.
बच्चों को पालना है वर्ना खोलता छतैं-
कोई बताए आके हम ऐसे क्यूं हुए .