चर्चिल गांधी से ही नहीं बल्कि संपूर्ण भारत को घृणा के भाव से देखते थे..!
*चर्चिल गांधी से ही नहीं बल्कि संपूर्ण भारत को घृणा के भाव से देखते थे..!* *गिरीश बिल्लोरे मुकुल* उपनिवेश के रूप में भारत को शोषित करने वालों में ब्रिटिश क्रॉउन के प्रधानमंत्री विंस्टन चर्चिल का नाम सर्वोपरि है। वे भारत को राष्ट्र कभी नहीं मानते थे। भारत के सामंतों और बादशाहों के कुकृत्यों के कारण चर्चिल के मस्तिष्क में भारत को एक कमजोर भूखंड के रूप में स्वरूप नजर आता था। परंतु जैसे जैसे भारत की विशेषताओं का ज्ञान उनको होने लगा तो वह भारत को एक तरफ से अपमानित करने का कोई अवसर नहीं चूकते थे। अपने मंतव्य को पूर्ण करने के लिए उन्होंने भारत की परिभाषा देते हुए कहा-" भारत कोई राष्ट्र नहीं है बल्कि पृथ्वी का एक टुकड़ा है जैसे महाद्वीप होते हैं जैसे महासागर होते हैं।" चर्चिल का चिंतन भारत के अध्यात्म से घबराकर चिंता में बदल गया था। भारत की बौद्धिक संपदा चर्चिल के मस्तिष्क को हिला देने का आधार थी। महात्मा गांधी से विंस्टन चर्चिल आत्मिक विद्वेष रखते थे। वह गांधी जी को पाखंडी बूढ़ा इत्यादि शब्दों से संबोधित करते हुए उनके अनशन को भी संदिग्ध मानते थे। य