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गेट नंबर चार जबलपुर

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चौराहे पे रम्मू की चाय की दूकान दिन भर चलती है और वहीं सामने पान का टपरा जहाँ शहर के पुराने नेता डाक्टर रावत जिनकी वज़ह से सत्तर के दशक में युवा एकजुट हुए थे और जबलपुर का इतिहास बदला गया शरद यादव को संसद भेजा गया हम लोग तब छोटी कक्षाओं में पढा करते थे वही हलधर किसान वाला चुनावी निशान आज भी रावत जी को देखते याद आ जाता है जी हाँ वही डाक्टर रावत आज जहाँ थे वहीं हैं उसी गेट नंबर चार में प्रतिभा के इस पारखी ने एक दिन रोका मुझे -''अरे,गिरीश भैया ये लछमन की दुकान पे काम करने वाले रीतेश को कोई सरकारी इमदाद मिल जाती तो....... '' ''दादा,हम इमदाद का इंतजाम तो कर देंगे पर इस बच्चे को काम पे रखने के लिए लछमन पे एक्शन भी लेना चाहतें हैं बच्चे के बाप को भी........!'' शाम को बच्चे के पिता को बुलवाया गया जो मारे डर के पेश न हुआ . मैंने शहर के बालविकास परियोजना अधिकारी मित्र को कहा की मेरे निवास क्षेत्र की एक चाय की दूकान में बाल श्रमिक है जो आपका क्षेत्र में है वैसे मैं काउंसलिंग से मामला सुलझा दूंगा यदि वो समझाने पे न माना तो फ़िर आप कारर्वाई करदेंगे मैं गवाही दूंगा ।