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कश्मीर नामा 01 : सहदेव ने स्थापित किया था कश्मीर

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     12 वीं शताब्दी में  वर्तमान कश्मीर के परिहास पूर्व में जन्में कल्हण के पिता हर्ष देव के दरबार में दरबारी थे। लोहार वंश का साम्राज्य था कश्मीर में। लोहार राजवंश कश्मीर 11वीं और 12वीं शताब्दी में राज करता था। लोहार वंश की स्थापना संग्राम राज ने की थी। राजा संग्राम राज के वंशज हर्ष देव का शासन काल विसंगतियों भरा था। इस राजा ने मंदिरों तक को लूटा था। किसी राजा के दरबार में उनके एक महामात्य चंपक के 2 पुत्र थे। एक पुत्र का नाम कल्हण था तथा दूसरा पुत्र कनक के नाम से प्रसिद्ध हुआ। कल्हण कवि थे जबकि कनक संगीतज्ञ। यूरोपीय विद्वान विंटरनिट्स भारत के प्रथम इतिहासकार के रूप में कल्हण का नाम सर्वोच्च स्थान पर रखा उसका कारण था कि कल्हण अपनी कृति-"राजतरंगिणी" में व्यवस्थित ढंग से इतिहास का लेखन किया। इतिहास लेखन के लिए जिन बिंदुओं का विशेष ध्यान दिया जाता है उसका ध्यान रखते हुए कल्हण ने काव्य के रूप में राजतरंगिणी की रचना की। इस कृति का रचनाकाल 1147 से लेकर 1149 ईस्वी था। कुछ लोगों की मान्यता है कि सन 1150 तक यह इतिहास लिखा गया। कुछ लोगों का मंतव्य है कि-" कल्हण ही