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गुमशुदा हैं हम, ख़ुद अपने बाज़ार में ।

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ग़ज़ल  गुमशुदा हैं हम, ख़ुद अपने बाज़ार में । ये हादसा हुआ है, किसी ऐतबार में ।। कुछ मर्तबान हैं, तुम रखना सम्हाल के - पड़ जाए है फफूंद भी, खुले अचार में ।। रोटियों पे साग थी , खुश्बू थी हर तरफ - गूँथा है गोया आटा, तुमने अश्रुधार में ।। अय माँ तुम्हारे हाथ की रोटियाँ कमाल थीं- बिन घी की मगर तर थीं तुम्हारे ही प्यार में ।। हाथों पे हाथ, सर पे दूध की पट्टियाँ- जाती न थी माँ जो हम हों बुखार में ।।