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विवेक सिंह की वापसी :हार्दिक स्वागत

http://chitthacharcha.blogspot.com/2009/03/blog-post_31.हटमल विवेक सिंह ने वापसी पोस्ट बनाम चर्चा में मित्र प्रशान्त के बारे में विवरण दर्ज किया जिनके पैर में फ़िर से चोट लग गयी ......... व्यवहारिक तौर पर किसी के लिए यह खबर....गैरज़रूरी हो सकती है किन्तु मुझे भाई विवेक का आध्यात्मिक-भावुक चेहरा नज़र आ रहा है इस दौर में ऐसे लोग जो आत्म केन्द्रित न होकर सर्वे सुखिन: भवन्तु .. का बिरवा रोप रहें हों उनको आदर देना मेरा दायित्व है

शतरंज के खिलाड़ी हैं हम !!

लड़का क्या करता है....? जी ब्लॉगर हैं । तो ठीक है उसकी शादी फीमेल से नहीं ई - मेल से कर दीजिए । शतरंज के खिलाडी हिन्दी के ब्लॉगर एक आभासी हार जीत का मज़ा लेना हो तो इन ब्लॉगर ( जिनमें मैं भी शामिल हूँ ) की भाव - भंगिमा से बांचा जा सकता है । हर बाजी " पोस्ट " को विजेता के भाव से लिखते हम सच अदद टिप्पणियों / आगंतुकों की प्रतीक्षा में लग जातें हैं । कम टिप्पणियों के बाबजूद हार न मानना हमारी विशेषता हैं । नाते चिट्ठों पे टिपिया के मांग लेतें हैं टिप्पणी मिल भी जातीं हैं । कुछ आपसी पीठ खुजाई में बदस्तूर लगे रहतें हैं । किंतु यहाँ क्रिया की प्रतिक्रया का सिद्धांत लागू होता है , यदि दो बार के बाद टिप्पणी रिटर्न गिफ्ट से न आए तो अपन उस ब्लॉग पे टिपियाना तो दूर उधर निगाह भी नहीं करते । गिव एंड टेक का मसला है भई !! कुछ विस्तार से बागर-चर्चा हो इस हेतु मैं अपनी तुच्छ बुद्धि से ब्लॉगर वर्गीकरण करने की सोची समझी गलती कर रहाँ हूँ ....... "A" सर्टिफ

शनिचरी - निठल्ले के साथ चिट्ठो का चिट्ठा

" शनिचरी" :- सुबह संदेशा भर लाई कि महाशक्ति समूह की चिंता को पाठकों स्पर्श न करना सिद्ध कर गया समंदर की हवाएं अब तरो-ताज़ा नहीं करतीं. हैं किंतु कोई यदि ये कहे कि - सर्द मौसम... और तुम्हारी यादें... तो बाक़ी मौसमों में क्या करतें हैं जी ? हाँ शायद “ इंतजार ” कर रहें होंगे इस मौसम का . युवाओं में विवाह के प्रति बढ़ती अनास्था की समस्या को देखते हुए सबकी चिंता जायज़ है न इसी लिए तो समाचार मिलता है कि - “ दो वर्ष में तीस हजार युवाओं को मिलेगा रोजगार ? अच्छी खबरिया ले आएं हैं इसे पड़कर . कुंवारी बेटी के बाप दूसरे समाचार से प्रभावित है . सभी कहतें है सूर्य उदय हो गया है . जयश्री का ब्लॉग सच देखने काबिल है फ़ैमिली डॉक्टर की ज़रूरत है कबाड़खाने को . सियासी मैदान में ज़मीन तलाशती औरतें और इस समाचार के साथ पुरूष घरेलू कामकाज सीखरहे है , इस मसले पर ब्लॉग लिखने जा रहे हैं कुछ ख़बर चुनाव क्षेत्र से : संवाद दाता ताऊ भेज रहें है ज़रूर बांचिए ' जय शनि देव

रविवार शाम ढलते-ढलते एक ब्लॉग चर्चा !!

"प्यार करते हैं", बयाँ भी किया करतें है हज़ूर ये न करें तो बवाल मचने का पूरा खतरा है की कहीं कोई पूछ न ले कि क्‍या हम प्‍यार कर रहे थे ... ?। कुछ बेतुकी, और अनाप शनाप बाते ,यकीनन आहिस्ता आहिस्ता.. ही समझतें है लोग यदि न करें तो क्या करें भैया एक ब्लॉगर भैया ने किसी की '' पोस्ट " , क्या चुराई यमराज ने , " गीता - सार बता दिया जैसे ही सुमो , प हलवान ने जो बताया उससे सब को कुछ और पता चला । खैर जो भी हो उधर बात ज़्यादा नहीं बढेगी बस छोटे - बड़े का ओहदा तय होगा कहानी अपने आप ख़तम हो जाएगी । मुम्बई से बाहर जा सकता है भोजपुरी फिल्म उद्योग यदि तो "भइया" " जबलपुर - " आ जाना अपन इंतज़ाम कर देंगे यहाँ सबई कछु उपलब्ध है । आपका इंतज़ार रहेगा हम तब तक रख लिए हमने "तकिए पर पैर" और भोजपुरी निर्माताओं के निर्णय का इंतज़ार कर रहे हैं । राज के राज में मनोज बाजपेई, ,की किसी सांकेतिक पोस्ट का न आना अभिव्यक्ति पर सेंसर शिप जैसा है। जानते है जल में रह कर मगर से बैर ...........?

समीर यादव एक उत्कृष्ट यात्रा पर......!!

चित्र
" इस चित्र का इस पोस्ट से अंतर्संबंध कुछ भी नही बस जैसे लगा इसे भी आपको दिखाना है सो छाप दी समीर यादव की रचना शीलता ,चिंतन,सब साफ़ सुथरा और मोहक भी है । इनके ब्लॉग " मनोरथ '' में प्रकाशित पोष्ट शहीद पुलिस स्तरीय बन पडी है ।समीर भाई सच एक उत्कृष्ट यात्रा पर हैं । वहीं मेरी एक अन्य नम्रता अमीन का ब्लॉग गुजराती से हिन्दी की ओर आता नज़र आ रहा है ब्लॉग का शीर्षक है :- "કહો છો તમે કેમ? उधर कुन्नू भिया यानी अपने कुन्नू भैया की पोष्ट ईसबार Free Submission वाला साईट बनाया हूं। देख लें... 'का वाचन ज़रूर कीजिए । निरन्तर -हमको कुछ न कुछ अच्छा करते रहना चाहिए ताकि "ब्लाग- कालोनी का नज़ारा करते वक्त उनकी नज़र " , कदाचित आप पर पड़ जाए । टुकडे अस्तित्व के -, को भी नकारा न जाए क्योंकि शून्य में से शून्य के निकलते ही शून्य फ़िर शेष रह जाता है। चलिए अब आप अपना पना पता दे दो ताकि अपन भी आपके ब्लॉग को देख आएं । मीडिया नारद पर -"राज क्यों बने राज" बांचना न भूलिए " तो फ़िर मन को भावुक करे वाला ब्लॉग - मिस यू पापा...... आज ही नहीं सदैव देखने लायक

हिन्दी - चिट्ठे एवं पॉडकास्ट एवं ब्लॉग वाणी से साभार :एक लाइन की चर्चा

अंकुर राय का गाना: सुनते रुकिए भाई अभी अमर सिंह को सुन लें अनिल-सोनम कपूर:चार भावमुद्राएं: ,-बासी .....में उबाल रंग भेद, काली रे काली रे...और ये काली कलूटी के नखरे बड़े...:_उठाने तो होंगे ही , शेयर बाजार को इंतजार ब्रेकआउट का=>"तोब्रेकिंग कर लीजिए " एनीमेशन के संसार में मानवीय संवेदनाएं=>"बस अब यहीं मिलेंगी " सांध्य गीत: सुबह सुबह..............? खाली हाथ आया है...खाली हाथ जाएगा:-तो क्या ऐ टी एम् साथ में ले जाए ्यों, साहित्यकारों की रजाई खींच रहे हो:-"और जब ये लोग कुरते खींच रहे थे तब आप चुप्पी थाम के बैठे थ....क्यों ? " लिव इन रिलेशनशिप.......चलो ब्याह का खर्चा बचा...... त्रेता के योद्धा नहीं लड़ सकते द्वापर की लड़ाई:-और कलयुग में आगे चेकिंग है.........टिकट नहीं है पतली गली से सटक लो सबका अपना-अपना तरीका है......:- काफी पुरानी बात है भैया ताज़ा समझ रहे हैं ? चार सौ बीस - यहीं न रिक जाना भृतहरि शतकः काम पर नियंत्रण करने वाले विरले ही वीर होते हैं :- वियाग्रा के युग की उलट बासी और अंत में क