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मंगलवार, मार्च 31, 2009

विवेक सिंह की वापसी :हार्दिक स्वागत

http://chitthacharcha.blogspot.com/2009/03/blog-post_31.हटमल
विवेक सिंह ने वापसी पोस्ट बनाम चर्चा में
मित्र प्रशान्त के बारे में विवरण दर्ज किया जिनके पैर में फ़िर से चोट लग गयी .........
व्यवहारिक तौर पर किसी के लिए यह खबर....गैरज़रूरी हो सकती है किन्तु मुझे भाई
विवेक का आध्यात्मिक-भावुक चेहरा नज़र आ रहा है
इस दौर में ऐसे लोग जो आत्म केन्द्रित न होकर सर्वे सुखिन: भवन्तु ..
का बिरवा रोप रहें हों उनको आदर देना मेरा दायित्व है

सोमवार, जनवरी 05, 2009

शतरंज के खिलाड़ी हैं हम !!

लड़का क्या करता है....?जी ब्लॉगर हैंतो ठीक है उसकी शादी फीमेल से नहीं -मेल से कर दीजिए शतरंज के खिलाडी हिन्दी के ब्लॉगर एक आभासी हार जीत का मज़ा लेना हो तो इन ब्लॉगर (जिनमें मैं भीशामिल हूँ) की भाव-भंगिमा से बांचा जा सकता हैहर बाजी "पोस्ट" को विजेता के भाव सेलिखते हम सच अदद टिप्पणियों / आगंतुकों की प्रतीक्षा में लग जातें हैंकम टिप्पणियों केबाबजूद हार मानना हमारी विशेषता हैंनाते चिट्ठों पे टिपिया के मांग लेतें हैं टिप्पणी मिल भीजातीं हैंकुछ आपसी पीठ खुजाई में बदस्तूर लगे रहतें हैंकिंतु यहाँ क्रिया की प्रतिक्रया कासिद्धांत लागू होता है , यदि दो बार के बाद टिप्पणी रिटर्न गिफ्ट से आए तो अपन उस ब्लॉग पेटिपियाना तो दूर उधर निगाह भी नहीं करतेगिव एंड टेक का मसला है भई !! कुछ विस्तार से बागर-चर्चा हो इस हेतु मैं अपनी तुच्छ बुद्धि से ब्लॉगर वर्गीकरण करने की सोची समझी गलती कर रहाँ हूँ .......

"A" सर्टिफिकेट धारी ब्लॉगर के लिए सब कुछ जायज होता हैये लोग एक समूह में काम करतें हैंतू मेरी खुजा मैं तेरी पीठ खुजाऊं की तर्ज़ पे हिन्दी ब्लागिंग जारी है
"B" इस सर्टिफिकेट धारी ब्लॉगर जहाँ बम वहाँ हम भी का पूरी निष्ठा से पालन करें हैं
"C" सर्टिफिकेट धारी ब्लॉगर बेचारे किस्म के होते हैंजो समझ ही नहीं पाते कि "किस राह पे रुकना है किस छत को भिगोना है "
इन प्रमाण पत्रों के रंग से भी आप समझ लीजिये रेड ज़ोन से जुड़ना है -यलो या ग्रीन ज़ोन से । मेरी राय तो यात्री -या-माल गाड़ी से बन जाइए . ब्लॉग परिचालन प्रणाली का अनुपालन कीजिए मज़े से ब्लागिंग कीजिए । बिंदास होके

शनिवार, नवंबर 22, 2008

शनिचरी - निठल्ले के साथ चिट्ठो का चिट्ठा


" शनिचरी":- सुबह संदेशा भर लाई कि

महाशक्ति समूह की चिंता को पाठकों स्पर्श न करना सिद्ध कर गया समंदर की हवाएं अब तरो-ताज़ा नहीं करतीं. हैं किंतु कोई यदि ये कहे कि- सर्द मौसम... और तुम्हारी यादें... तो बाक़ी मौसमों में क्या करतें हैं जी ? हाँ शायद इंतजारकर रहें होंगे इस मौसम का . युवाओं में विवाह के प्रति बढ़ती अनास्था की समस्या को देखते हुए सबकी चिंता जायज़ है न इसी लिए तो समाचार मिलता है कि- “ दो वर्ष में तीस हजार युवाओं को मिलेगा रोजगार ? अच्छी खबरिया ले आएं हैं इसे पड़कर. कुंवारी बेटी के बाप दूसरे समाचार से प्रभावित है. सभी कहतें है सूर्य उदय हो गया है . जयश्री का ब्लॉग सच देखने काबिल हैफ़ैमिली डॉक्टर की ज़रूरत है कबाड़खाने को. सियासी मैदान में ज़मीन तलाशती औरतें और इस समाचार के साथ पुरूष घरेलू कामकाज सीखरहे है, इस मसले पर ब्लॉग लिखने जा रहे हैं कुछ ख़बर चुनाव क्षेत्र से : संवाद दाता ताऊ भेज रहें है ज़रूर बांचिए '

जय शनि देव

रविवार, नवंबर 02, 2008

रविवार शाम ढलते-ढलते एक ब्लॉग चर्चा !!

"प्यार करते हैं",बयाँ भी किया करतें है हज़ूर ये न करें तो बवाल मचने का पूरा खतरा है की कहीं कोई पूछ न ले कि क्‍या हम प्‍यार कर रहे थे ...?। कुछ बेतुकी, और अनाप शनाप बाते,यकीनन आहिस्ता आहिस्ता..ही समझतें है लोग यदि न करें तो क्या करें भैया एक ब्लॉगर भैया ने किसी की '' पोस्ट ",क्या चुराई यमराज ने , " गीता - सार बता दिया जैसे ही सुमो, हलवान ने जो बताया उससे सबको कुछ और पता चलाखैर जो भी हो उधर बात ज़्यादा नहीं बढेगी बस छोटे-बड़े का ओहदा तय होगा कहानी अपने आप ख़तम हो जाएगीमुम्बई से बाहर जा सकता है भोजपुरी फिल्म उद्योग यदि तो "भइया""जबलपुर - "आ जाना अपन इंतज़ाम कर देंगे यहाँ सबई कछु उपलब्ध है । आपका इंतज़ार रहेगा हम तब तक रख लिए हमने "तकिए पर पैर" और भोजपुरी निर्माताओं के निर्णय का इंतज़ार कर रहे हैं । राज के राज में मनोज बाजपेई, ,की किसी सांकेतिक पोस्ट का न आना अभिव्यक्ति पर सेंसर शिप जैसा है। जानते है जल में रह कर मगर से बैर ...........?


बुधवार, अक्टूबर 22, 2008

समीर यादव एक उत्कृष्ट यात्रा पर......!!


"इस चित्र का इस पोस्ट से अंतर्संबंध कुछ भी नही बस जैसे लगा इसे भी आपको दिखाना है सो छाप दी




समीर यादव की रचना शीलता ,चिंतन,सब साफ़ सुथरा और मोहक भी है । इनके ब्लॉग "मनोरथ '' में प्रकाशित पोष्ट शहीद पुलिस स्तरीय बन पडी है ।समीर भाई सच एक उत्कृष्ट यात्रा पर हैं ।
वहीं मेरी एक अन्य नम्रता अमीन का ब्लॉग गुजराती से हिन्दी की ओर आता नज़र आ रहा है ब्लॉग का शीर्षक है :- "કહો છો તમે કેમ?
उधर कुन्नू भिया यानी अपने कुन्नू भैया की पोष्ट ईसबार Free Submission वाला साईट बनाया हूं। देख लें...
'का वाचन ज़रूर कीजिए । निरन्तर-हमको कुछ न कुछ अच्छा करते रहना चाहिए ताकि "ब्लाग- कालोनी का नज़ारा करते वक्त उनकी नज़र ", कदाचित आप पर पड़ जाए । टुकडे अस्तित्व के -, को भी नकारा न जाए क्योंकि शून्य में से शून्य के निकलते ही शून्य फ़िर शेष रह जाता है। चलिए अब आप अपना पना पता दे दो ताकि अपन भी आपके ब्लॉग को देख आएं । मीडिया नारद पर-"राज क्यों बने राज" बांचना न भूलिए "
तो फ़िर मन को भावुक करे वाला ब्लॉग -
मिस यू पापा......आज ही नहीं सदैव देखने लायक है
शुभ-रात्रि
मुकुल

शनिवार, अक्टूबर 11, 2008

हिन्दी - चिट्ठे एवं पॉडकास्ट एवं ब्लॉग वाणी से साभार :एक लाइन की चर्चा

और अंत में
मुझे उम्मीद थी एक दिन आप मेरे लिए यही कहेंगी

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