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23.8.22

राजा दाहिर का भारत की रक्षा में योगदान

  यूनानीयों ने ईसा के पूर्व भारत पर सांस्कृतिक सामरिक हमला किया किंतु उनकी विफलता सर्व व्यापी है।वामधर्मी  इतिहासकार जिस मंतव्य को स्थापित करने के लिए ऐसी ऐतिहासिक घटनाओं का विवरण प्रस्तुत करने की कोशिश करते हैं जो भारतीय सांस्कृतिक पहचान को विलुप्त कर दें। यूनानीयों के अलावा कुषाण हूण इत्यादि कबीलों ने भारत पर आक्रमण किया। अरब के लोग भी भारत पर अपनी प्रभु सत्ता स्थापित करने के लिए लगभग इस्लाम के आने के पूर्व लगभग कई बार आक्रमण कर चुके थे।
भारत पर आक्रमण के क्या कारण रहे होंगे?
    भारत की खाद्य पदार्थों के उत्पादन क्षमता शेष विश्व के सापेक्ष बहुत श्रेष्ठ एवं स्तरीय रही है। दूसरा कारण था भारत में अद्वितीय स्वर्ण भंडार। इसके अलावा भारत की सांस्कृतिक परंपराएं सामाजिक व्यवस्था किसी भी अन्य सभ्यता से उत्कृष्ट रही हैं।
   उपरोक्त कारणों से भारत कबीलो के आकर्षण का केंद्र बना रहा।
   आप जानते हैं कि सिकंदर और पोरस की लड़ाई में सिकंदर भारत पर साम्राज्य स्थापित नहीं कर पाया उसे वापस जाना पड़ा और वापसी के दौरान रास्ते में ही उसकी मृत्यु हो गई।
  भारत का व्यापार व्यवसाय हड़प्पा काल से ही अरब यूनान ओमान तक विस्तृत था।
   भारत में विदेशी आक्रांताओं के आक्रमण के संबंध में पृथक से कभी बात की जाएगी । इस आर्टिकल के जरिए आपको यह अवगत कराना चाहता हूं कि भारत में सबसे पहला आक्रमण मुंबई के ठाणे शहर में अरब आक्रामणकारीयों द्वारा किया गया था। इसके उपरांत मकरान के रास्ते से 644, 659 , 662, 664 ईस्वी में लगातार आक्रमण होते रहे।
   उस अवधि में कश्मीर भारत का सांस्कृतिक सामरिक केंद्र था। इसका विवरण आप भली प्रकार राज तरंगिणीयों में देख सकते हैं। सन 632 में मोहम्मद साहब के देहांत के बाद खलीफ़ाई व्यवस्था कायम हो चुकी थी। सातवीं शताब्दी के उपरोक्त समस्त आक्रमणों में अरबों की पराजय हुई। परंतु आठवीं शताब्दी के आने तक अरबों की सामरिक क्षमता में वृद्धि हो चुकी थी। सन 712 इसी में सिंध पर कश्मीर मूल के राजा जो जाति से ब्राह्मण थे की राजवंश का साम्राज्य था। सिंध जो वर्तमान में पाकिस्तान का हिस्सा है का राजा दाहिर, इराक के शाह हज्जाज के निशाने पर थे। इराक के शाह द्वारा भारत पर आक्रमण की दो वजहें सुनिश्चित की थीं
[  ] एक वजह थी ओमान के शासक माबिया बिन हलाफी, तथा उसके भाई मोहम्मद द्वारा सिंध में शरण लेना। इन दोनों भाइयों ने खलीफा से असहमति जाहिर की थी।
[  ] दूसरा कारण इस्लाम को विस्तार करने का था।
     हज्जाज की सेना ने राजा दाहिर शासित सिंध पर आक्रमण किया, परंतु उसे असफल होकर वापस लौटना पड़ा। इसके बाद भी राजा दाहिर पर आक्रमण के प्रयास लगातार होते रहे। सन 712 ईसवी में हज्जाज ने अपने दामाद 17 वर्षीय मोहम्मद बिन कासिम को नई रणनीति के साथ राजा दाहिर के साम्राज्य सिंध पर आक्रमण करने का निर्देश दिया। मोहम्मद बिन कासिम क्रूर धर्म भीरु धर्म विस्तारक गजवा ए हिंद की भावनात्मक उत्तेजना के साथ भारत में आया और उसने स्थानीय लोगों को घूस देकर तथा कुछ बुद्धिस्ट लोगों को हिंदुत्व के विरुद्ध भड़का कर तथा बुद्धिज्म के विस्तार का लालच देकर अपनी ओर आकर्षित कर लिया तथा उनका सामरिक उपयोग भी किया। मोहम्मद बिन कासिम के पास बालिष्ठ नाम का एक ऐसा यंत्र था जिससे बड़े-बड़े पत्थर दूरी तक फेंके जा सकते थे। यह युद्ध देवल में लड़ा गया। हिंदू वासियों की मान्यता थी कि देवल का ध्वज गिरना पराजय का कारण होगा यह बात मोहम्मद बिन कासिम को भारतीय बिके हुए लोगों ने बता दी। मोहम्मद बिन कासिम ने देवल के मंदिर पर लगी ध्वजा पर सबसे पहले आक्रमण किया इस आक्रमण में ध्वजा क्षतिग्रस्त हो गई। इससे सिंध की सेना का मनोबल कमजोर हुआ। मोहम्मद बिन कासिम की सेना के साथ राजा दाहिर की सेना नें वीरता पूर्वक मुकाबला जारी रखा। तभी अचानक राजा दाहिर का हाथी अनियंत्रित हो गया और उसे नियंत्रित करने महावत ने रणभूमि से अलग ले जाकर हाथी को काबू में लाने का प्रयास किया। इस बीच सिंध की सेना में यह अफवाह भी फैल गई कि राजा दाहिर ने पलायन कर दिया है। कुछ समय पश्चात राजा दाहिर वापस युद्ध भूमि पर लौटे तब तक बहुत सारे सैनिक पलायन कर चुके थे।
    उधर लगातार तीन दिन मोहम्मद बिन कासिम के लड़ाके बस्तियों में लूटपाट करते रहे। 17 वर्ष से अधिक के महिला पुरुषों को इस्लाम कुबूल करने की हिदायत दी गई और ना मानने पर कत्लेआम किया गया। यह कत्लेआम लगभग 3 दिन तक लगातार चला।
  राजा दहिर के महल की स्त्रियों ने स्वयं को अग्नि के हवाले कर दिया किंतु उनकी दूसरी पत्नी तथा दो  पुत्रियां शेष रह गई। जिन्हें मोहम्मद बिन कासिम बंदी बनाकर रानी को अपने हरम में रख लिया तथा पुत्रियों को खलीफा के समक्ष पेश किया। दोनों राजकुमारियों में सूर्य देवी तथा परमार देवी वैसे खलीफा ने सूर्य देवी को अपने पास रख लिया और परमार देवी को अपने हरम में भेज दिया। सूर्य देवी को मोहम्मद बिन कासिम से बदला लेने का अवसर प्राप्त हो गया। उसने खलीफा को बताया कि-" हमारा शील हरण तो पहले ही मोहम्मद बिन कासिम ने कर दिया है"
   इस बात से क्रुद्ध होकर मोहम्मद बिन कासिम को मारने की आज्ञा खलीफा ने जारी कर दी। और मोहम्मद बिन कासिम का अंत हो गया।
   मोहम्मद बिन कासिम की मृत्यु के उपरांत भारत के वे सभी क्षेत्र अरबों से मुक्त करा दिए गए जो मोहम्मद बिन कासिम के आधिपत्य में आ चुके थे। परंतु मोहम्मद बिन कासिम नहीं लाखों लोगों का कत्लेआम तथा मंदिरों एवं जनता को लूट कर अकूत धन सोना तथा अन्य कीमती धातु रत्न इत्यादि पहले ही अरब पहुंचा दिए थे। राजा दाहिर की बेटियों का बलिदान अखंड भारत बेटियों का सर्वोच्च बलिदान कहा जा सकता है।
(स्रोत: चचनामा, पर डॉ राजीव रंजन प्रसाद की व्याख्या)

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