"*****" जबलपुर की सड़कों पर लम्ब्रैटा पर चलने वाला एक गोलमटोल फ़ुर्तीला व्यक्ति अचानक गुम हो जाता है..सोचा कि मित्रों की चौकियों पर उसकी रपट लिखा दूं. लिखवाई भी तब किसी ने बताया .."अच्छा वो, हां फ़ारेन निकल गया "
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जबलपुर के सदर काफ़ी हाउस,सिटी काफ़ी हाउस,अन्ना वाला सदर का काफ़ी हाउस, में पाई जाने वाली इस शख्शियत से मुलाक़ात कराने की ज़िम्मेदारी जबलपुरिया दोस्तों के सर रही है 87 से 89 के बीच किंतु 2007 में तो कमाल हो गया नेट से जुड़ा ब्लागिंग के साथ मेरा नाता कायम हुआ कि भाई से मुलाक़ात एक टिप्पणी ने कराई जो उडनतश्तरी की जानिब से थी. विदेश में बसी यह तश्तरी आज भी जबलपुरिया यादों से सजी हुई है.कुल मिला कर एक मधुर सुलझा दोस्त जो हरदिल अज़ीज़ है वोइच्च तो है समीरलाल ... जो आज़ अपना जन्म दिवस मना रहे हैं.