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वाह मनीष सेठ वाह बाबा हमें गर्व है आप पर ..!!

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हमारे मित्र मनीष सेठ इन दिनों कटनी में एकीकृत बाल विकास सेवा विभाग के  जिला अधिकारी हैं. बेहद चंचल हंसमुख हमारे अभिन्न मित्र हैं. हम आपस में   लड़ते झगड़ते भी खूब हैं.. स्वभाविक है इस सबके बिना मज़ा कहां आता है दोस्तों में.. और फ़िर जबलपुरिया नमक पानी ऐसा ही तो है कि बिना लड़े-झगड़े खाना पचता ही नहीं .. आपस में बाबा का संबोधन किया करतें हैं हम बात  1999 की दीवाली की है.. अचानक सड़क पर चलते चलते मुझे जाने क्या हुआ क्रेचेस फ़िसल गई और पोलियो वाले पैर में फ़ीमर बोन का भयानक फ़्रेक्चर फ़ीमर बोन कनेक्टिंग बाल से टूट कर अलग हो गई थी. कुछ मित्र होते हैं जो बुरे वक्त में नज़दीक होते हैं सबसे पहले मित्र मनीष सेठ ही थे जो मेरे सामने दिखे लगभग डपटते हुए उनको बोलते सुना -"बेवकूफ़ हो, मालूम है कि दीवाली के दिन बाज़ार में कार रिक्शे विक्शे जा नहीं पाते पैदल ही जाता पड़ता है तो क्या ज़रूरत थी कि बाज़ार जाओ, " .. इस बात में एक वेदना की प्रतिध्वनि मुझे आज़ भी याद है. आज़ वो घटना ताजी हो गई जब मेरे मेल बाक्स में ये संदेश मिला जो श्री आदित्य शर्मा जी का लिखा हुआ था.. आप ही देखिये आप भी कह

"कौआ ,चील ,गदहा ,बिल्ली ,कुत्ते

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 एक सरकारी बना "बहुत  असरकारी"   होशियार था कौए की तरह   और जा बैठा वहीं जहां अक्सर  होशियार कौआ बैठता है.!! *************************                                                                  चील:-  चीखती चील ने  मुर्दाखोर साथियों को पुकारा एक बेबस जीवित देह  नौंचने    सच है घायल होना सबसे बड़ा अपराध है.  मित्र मेरे, बीते पलों का  यही एहसास आज़ मेरे  तो कल तुम्हारे साथ है. **************************** गधा  जो अचानक रैंकने लगता है  सड़क पर मुहल्ले के नुक्कड़ पर लगता है कि :- "मैं अपने दफ़्तर आ गया ?" वहां जहां मैं और मेरा गधा  एक ही सिक्के  के दो पहलू हैं. मुझे इसी लिये प्रिय है मेरा गधा.. सर्वथा मेरा अपना "अंतरंग-मित्र " ***************************** बिल्ली सुना है बिल्लियों का भाग से भरोसा  उठ गया ! बताओ दोस्त क्यों है ये मंज़र नया ? जी सही  अब आदमी छीकें तोड़ रहें हैं ***************************** कुत्ते पर इंसानी नस्ल का रंगत   चढ़ गई ये जानकर अ