आज मन चाह रहा था कुमार गंधर्व को सुनूं सुनने को तलाश की गई तो
कबाड़खाना ब्लाग की इस पोस्ट पर ठहर गया
माया महाठगिनी हम जानी
निरगुन फांस लिए कर डोलै, बोलै मधुरी बानी.
केसव के कमला व्है बैठी, सिव के भवन भवानी.
पंडा के मूरत व्है बैठी, तीरथ में भई पानी.
जोगि के जोगिन व्है बैठी, राजा के घर रानी.
काहू के हीरा व्है बैठी, काहू के कौड़ी कानी.
भक्तन के भक्ति व्है बैठी, ब्रह्मा के बह्मानी.
कहै कबीर सुनो भाई साधो, वह सब अकथ कहानी
और अब सुनिये ये
कबाड़खाना ब्लाग की इस पोस्ट पर ठहर गया
माया महाठगिनी हम जानी
निरगुन फांस लिए कर डोलै, बोलै मधुरी बानी.
केसव के कमला व्है बैठी, सिव के भवन भवानी.
पंडा के मूरत व्है बैठी, तीरथ में भई पानी.
जोगि के जोगिन व्है बैठी, राजा के घर रानी.
काहू के हीरा व्है बैठी, काहू के कौड़ी कानी.
भक्तन के भक्ति व्है बैठी, ब्रह्मा के बह्मानी.
कहै कबीर सुनो भाई साधो, वह सब अकथ कहानी
और अब सुनिये ये