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सोमवार, जनवरी 07, 2013

कबाड़खाना ब्लाग की अनूठी प्रस्तुति

आज मन चाह रहा था कुमार गंधर्व को सुनूं सुनने को तलाश की गई तो 
कबाड़खाना ब्लाग की इस पोस्ट पर ठहर गया 


माया महाठगिनी हम जानी

निरगुन फांस लिए कर डोलै, बोलै मधुरी बानी.


केसव के कमला व्है बैठी, सिव के भवन भवानी.


पंडा के मूरत व्है बैठी, तीरथ में भई पानी.


जोगि के जोगिन व्है बैठी, राजा के घर रानी.


काहू के हीरा व्है बैठी, काहू के कौड़ी कानी.


भक्तन के भक्ति व्है बैठी, ब्रह्मा के बह्मानी.


कहै कबीर सुनो भाई साधो, वह सब अकथ कहानी



और अब सुनिये ये 

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