मुझे मंटो में कोई गंदगी नहीं नज़र आई,लायसेंस पढकर तो आँखे भर आयीं थीं। औरत की जिन्दगी की तस्वीरें जो मंटो ने खींची थीं , उन से समाज में नारी की दशा की सच्ची व्याख्या कर ही डाली। इधर अपने मनोहर श्याम जी तक ने अपनी हद पार कर दीं ,खुशवंत जी की बात करना फिजूल है, मंटो को मेरा सलाम । मुझे जबलापुरिया होने पे गर्व इस लिए है क्योंकि मेरे इस शहर ने सौ केंडल पावर का बल्बःनींद,जबलपुर में बनी मन्टो पर फिल्म बनाई,सआदत हसन मंटो की नज़र नारी के लिए पाजिटिव ही है,