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ज़रा रूमानी हो जाएं

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आज़ देर तक खूब गीत सुने जो सुने वो शायद आपको भी पसंद आएं.. तलाशिये इन लिंक्स में सुहासी धामी   साभार : न्यू आब्ज़र्वर पोस्ट  आप की आंखों में महके हुये राज़     देख हमने इस मोड़ से जाने का मन बना लिया. जहां से जातें हैं   सुस्त क़दम रस्ते  तेज़ कदम राहें   वहीं उस मोड़ पर तुमसे मिलना और   भिगो देना पूरे बदन को रिमझिम सावनी फ़ुहारों   का.  और   फ़िर न जाने क्यों   ... न क्यों होता है ज़िंदगी के साथ अचानक तुम्हारे जाने के बाद तुमको तलाशता है उसी मोड़ पर.  और फ़िर मन को धीरज देता रजनीगंधा के फ़ूलों का वो गुच्छा जो रात तुमने महकाने लाए थे मेरे सपनों में.जहां मुझसे  तुम कह रहे होते हो मैं अनजानी आस हूं जिसके पीछे तुम  गोया पागल हो ? और फ़िर अचानक तुम्हारी सुर में सुर मिलने की चाहत का सरे आम होना...और तुमसे मिली नज़र की याद के असर को न भुला पाना फ़िर खुद से  मेरा शर्मशार होके सिमट जाना खुद में... फ़िर तन्हाई में दिल से बातें करना..खामोशी में भी संगीत एहसास करना.शायद तुमको इस बात का एहसास तो होगा ही  कि बातों ही बातों में प्यार  ... तुमने ही तो कहा था न ..और एक दिन हां एक  दिन हम तुम

आज़ दो प्रेम गीत इधर भी

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तुम बात करो मैं गीत लिखूं ************************* कुछ अपनी कहो कुछ मेरी सुनो कुछ ताने बाने अब तो बुनो जो बीत गया वो सपना था- जो आज़ सहज वो अपना है तुम अलख निरंजित हो मुझमें मन चाहे मैं तुम को भी दिखूं             तुम बात करो मैं गीत लिखूं ************************* तुम गहराई  सागर सी भर दो प्रिय मेरी गागर भी रिस रिस के छाजल रीत गई संग साथ चलो दो जीत नई इसके आगे कुछ कह न सकूं          तुम बात करो मैं गीत लिखूं ************************* तुमको को होगा इंतज़ार मन भीगे आऎ कब फ़ुहार..? न मिल मिल पाए तो मत रोना ये नेह रहेगा फ़िर उधार..! मैं नेह मंत्र की माल जपूं          तुम बात करो मैं गीत लिखूं ************************* रुक जाओ मिलना है तुमसे , मत जाओ यूं जाल बिछाके तुम संग नेह के भाव जगाके बैठ थे हम   पलक भिगाके कागा शोर करे नीम पर - मीत मिलन की आस जगाके ******************* नेह निवाले तुम बिन कड़्वे उत्सव सब सूने लगते हैं, तुम क्या जानो विरह की पीडा मन रोता जब सब हंसते हैं. क्यों आए मेरे जीवन में- आशाओं का थाल सजाके. ******************* ज़टिल भले हों जाएं हर क्षण पर  तुम  हो मेरे  सच्चे