टेक्स्ट
क़रीब दिल के क़िताब रखना !
छिपा के उसमें गुलाब रखना !
नज़र में पहली ये प्यार कैसा -
नज़र-नज़र का हिसाब रखना !
लबों से बिखरे हंसी अचानक -
तो लब पे हाज़िर ज़वाब रखना !
हां कह दो जाके सितमग़रों से
है रब को आता हिसाब रखना !
हां इक कमीं है मुकुल में यारो-
नहीं सुहाता हिसाब रखना !!
* गिरीश बिल्लोरे "मुकुल”