अछोर विस्तार पाने की ललक ने मुझे इंटरनेट का एडिक्ट बना दिया.
जितना विस्तार पा रहा हूं उतना कमज़ोर और अकेला होता जा रहा हूं. लोग समझ रहे हैं विश्व से बात कर रहा हूं मेरे दोस्त शिखर पर बैठे लोग हैं. अभिनेता, नेता, क्रेता, विक्रेता, उनके बीच मेरा स्थान है. देश में... न भाई मुझे पढ़ने देखने जानने वाले विश्व के कोने कोने में हैं. अपना फ़ेस हर साइट पर बुक करवा रहा हूं.. इस छोर से उस छोर तक यानी अछोर विस्तार पाने की ललक ने मुझे इंटरनेट का एडिक्ट बना दिया. ये आत्म-कथ्य है सोशल साइट्स से चिपके हर व्यक्ति की. जो इधर का माल उधर करने में लगा हैं. सोचिये कि इस तरह हम अपनी स्वयम की और कृत्रिम उर्ज़ा का इस तरह क्यों खर्च कर रहें हैं. क्यों हम सामान्य जीवन से कट रहें हैं.? इस बात का पुख्ता ज़वाब मिलेगा किशोर बेटे बेटी से जो रात दिन नेट पर चैट का खेल खेला करते हैं. वास्तव में मनुष्य प्रजाति में आभासी दुनिया के पीछे भागने का एक दुर्गुण हैं. अंतरजाल से उसका जुड़ाव इसी का परिणाम है. मानवी दिमाग कपोल कल्पनाओं गल्पों का अभूतपूर्व भंडार होता है. जिसमें वह स्वयम ही इन्वाल्व होता है. किसी अन्य का इन्वाल्वमेंट वास्तव