यज़ीदी अल्पसंख्यकों के खिलाफ़ होते धर्मांध |
नवभारत टाइम्स के अनुसार "पुरातन काल से यजीदी इराक के अल्पसंख्यक हैं। ये लोग शुरू से ही शैतान को पूजते आ रहे हैं। इनके धार्मिक सूत्रों में शैतान ईश्वर के बनाए सात फरिश्तों में से एक है और उसका दूसरा नाम मेलक तव्वस है। माना जाता है कि आदम को सिजदा न करने पर मेलक को ईश्वर ने न सिर्फ माफ कर दिया बल्कि उसके स्वाभिमान से काफी प्रभावित हुए।
18वीं और 19वीं सदी में यजीदियों को शैतान पूजक बताकर जातिगत द्वेष के चलते बड़ी तादाद में मारा गया। इससे मिलती-जुलती घटना उनके साथ 2007 में भी घटी। धमकियों के चलते यजीदियों के धर्मगुरु बाबा शेख ने वह सालाना उत्सव भी बंद करा दिया जो लालेश टैंपल में हुआ करता था। यजीदियों अपनी अलग मान्यताओं के लिए फांसी तक मिलती रही है, लेकिन इन्होंने अपना धार्मिक विश्वास नहीं बदला"
विश्व के महान धर्मों का सारभूत तत्व सभी जानते हैं किंतु धर्मांधता के चलते मानवता का अंत नज़दीक आ रहा है. भारत में रावण की पूजा करने वाले मौज़ूद हैं, नास्तिक भी मौज़ूद हैं किंतु भारतीय उनसे वैचारिक रूप से, भले अलग हों पर उनके "जीने के अधिकार को छीनने से क़तई सहमत नहीं " किंतु ISIS के इस्लामिक चरमपंथियों की अवधारणा ये नहीं हैं. वे आज़ भी आदिम धूर्तता को अंगीकृत किये हुए हैं .
चरमपंथियों की ज़ंज़ीर में यज़ीदी मतावलम्बी औरतें |
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