गधे लेबलों वाले संदेश दिखाए जा रहे हैं. सभी संदेश दिखाएं
गधे लेबलों वाले संदेश दिखाए जा रहे हैं. सभी संदेश दिखाएं

15.5.13

आम आदमी का ब्लाग ट्रायल


          
 सुदूर समंदर में एक द्वीप है जहां से मैं एक वाकया आपके सामने पेश करने की गुस्ताखी कर रहा हूं.. उस द्वीप का वातावरण ठीक हमारे आसपास के वातावरण की मानिंद ही है. वहां एक अदालत में  एक आदमजात  किसी अपराध में कठघरे में खड़ा किया गया था.. लोग बतिया रहे थे  उस पर आरोप है  कि उसने सरकार से कुछ बेजा मांग की थी. वो सरकार से  सरकार और उसकी बनाई व्यवस्था पर लगाम लगाने की गुस्ताखी कर बैठा .
       द्वीप की सरकार बड़ी  बेलगाम थी विरोधी दल के  लोग  सरकार को लगाम लगाने की सलाह दे रहे थे . सो सरकार ने  लगाम के उत्पादन अवैधानिक घोषित कर दिया भाई हैं कि अपना लगाम बनाने का कारखाना बंद न करने पे आमादा थे.. हज़ूर के कान में बात जब दिखाई दी तो उनने अपने से बड़े हाक़िम को दिखाई बड़े ने और बड़े को और बड़े ने उससे बड़े को फ़िर क्या बात निकली दूर तलक जानी ही थी.. सबने बात देखी वो भी कान से.. आप सोच रहे हो न कि बात कान से कैसे देखी होगी..?
           सवाल आपका जायज़ है ज़नाब पर आप जानते ही हो कि  आजकल अहलकार से ओहदेदार .. हाक़िम से हुक़्मरान तक सभी के कान आंख बन गये हैं वे सब कान से देखने लगे हैं..!
                   मुआं वह  आम आदमी अर्र वो केजरी-कक्का वाला नहीं "सच्ची वाला आम आदमी" अदालत में मुंसिफ़ के सवालों का ज़वाब दे रहा था. तब  उड़नतश्तरी में बैठे हम, विश्वदर्शन को निकले थे. उस द्वीप की हरितिमा से मोहित हो हमने यान वहीं लैंड कर दिया नज़दीक से एक अदालत में आवाज़ाही देख हमने सोचा चलो देख आवें कि यहां के जज़ साब भी हमारी फ़िल्मों की तरह हथौड़ा पीटते हैं कि नहीं अदालत में घुसते ही हमें संतरी ने पूछा - किस के यहां पेशी है.. तुम्हारी
हम बोले- बाबा पेशी देखने आये हैं हम 
खर्चा-पानी दो तो बताये किधर मज़ा आएगा ? संतरी ने कहा
हमने गांधी छाप पांच सौ वाला नोट पकड़ाया तुरंत वो बोला - पाकिस्तान के प्रिय देश से हा हा आओ उसमें घुस जाओ मोबाइल बंद कर लेना.. 
हम बोले ये बी एस एन एल का  है.. ये तो हमाए इंडिया में इच्च नईं चलता तो यहा का चलेगा. वो हंसा हम हंसे और हम अदालत में घुसे कि जज साब हमको देख तुरतई चीन्ह लिये बोले - " ए मिस्फ़िट, तनिक आगे आओ.."
                       हम डर गये चौंके भी कि जज्ज साब हमको ब्लाग के नाम से पुकार रये हैं.. पास गये हम समझ गये थे कि अब वीज़ा पूछेंगे फ़िर सरबजीत घाईं हमाए को भी .. पर ये न हुआ जज़ साब ने हमको बोला- आपके मिसफ़िट ब्लाग पर आता जाता हूं आपका लेख मज़ेदार लगता है कभी कभार 
        मैं आपको ज़ूरी के तौर बिठाता हूं.. लो भई कुर्सी लाओ.. दो अर्दली एक कुर्सी लेने भागे कुछ देर में कुर्सी आई. हम धंस गये कुर्सी में जब हमारे लिये कुर्सी आई तो हम ही बैठेंगे कोई और काहे बैठे.. गा जज्ज साब हमसे बोले -क़ानून बांचे हो..!

हम- हां, गर्ग सर वाले हितकारणी  नाईट कालेज़ से ला किया हूं..
जज्ज साब - तो आज़ आप ही ट्रायल करें..  
हमने भी बिना आनाकानी किये सवाल दागने शुरु किये 
कौन सी दुनियां के आदमी हो
इसी दुनियां के ..
क्या करते हो।
कुछ नहीं 
क्यों ।।
ज़रूरी है क्या...कुछ करना..?
तो रोटी कैसे खाते  हो
मुंह से..?
अरे बाबा, पैसे किधर से पाते हो जिससे खाना-दाना खरीदते हो..?
हम लगाम बनाते थे.. सरकार ने लगाम बनाने पर लगाम लगा दी सो तीन महीने से बेक़ार हूं.. सो सोचा भूख हड़ताल कर लूं तुम्हारे केजरी जी अन्ना जी जैसे तो पुलिस ने पकड़ लिया जेल में आज़ हमको सजा दिलवा दो साहब जेल में मुफ़्त रोटी मिलती है.. हमको लगाम बनानी आती है बस और हमारी सरकार लगाम नहीं बनाने देती.. 
क्यों..?
सरकार ने घोड़े के विदेशों में पलायन के कारण गधों से काम लेना शुरु कर दिया और पूरे देश में गधों को काम पर रखने क़ानून बना दिया है. हमने कहा कि हमारे धंधे पर मंदी का काला साया छा रहा है तो सरकार ने कहा लगाम बनाना बंद कर दो..
फ़िर...
फ़िर क्या हम बेरोज़गार हो गये.. हमने गधों के लिये लग़ाम बनानी चाही तो सरकार ने उसे भी प्रतिबंधित-व्यवसाय की श्रेणी में ला दिया.. 
दिन में कितनी लगाम बनाने की क्षमता है आपमें.. ?
सर, हम दिन में दस बारह बना लेते हैं..
    मुल्ज़िम की बात सुनकर हमने कहा-  जज साहब हमें आपसे अकेले में कुछ निवेदन करना है !
जज साहब ने हमारे वास्ते कमरा खुलवाया .. हमारी खानाफ़ूसी हुई बस बाहर आते ही जज साहब ने फ़ैसला सुनाया
  सारे बयानों दलीलों सुनने समझने के बाद  ज़ूरी की खास सलाह पर अदालत इस नतीजे पर पहुंचती है कि  मुलज़िम कपूरे लाल लोहार को भारत नामक देश में जहां हर जगह लगाम की ज़रूरत है भेज दिया जाये. 
 कपूरे लाल को भारत भेजने का प्रबंध देश की सरकार को करना होगा. 
     इसके बाद हम तो आ गये पर कपूरे लाल लोहार जी का इंतज़ार लगातार जारी है. भारत की बेलगाम होती व्यवस्था के लिये  कपूरे लाल लोहार जैसे महान लगाम निर्माताओं की ज़रूरत तो आप भी मसहूस करते हैं.. है न.. 


Wow.....New

धर्म और संप्रदाय

What is the difference The between Dharm & Religion ?     English language has its own compulsions.. This language has a lot of difficu...