उनने देखा कि हम सलोनी भाभी को गुलाब दे रहें हैं. बस दहकने लगीं गुलाब सी .
सच बताएं आज का वैलेंटाइन हमको सूट नहीं किया अखबार में राशिफ़ल वाले कालम में यही तो लिखा था . सुबह सवेरे हमारी शरीक़े-हयात ने हमसे कहा उपर गमलों से कुछ फ़ूल तोड़ लाएं . राजीव तनेजा जी की तरह हमने वी आर द बेस्ट कपल बने रहने के लिये उनकी हरेक बात मानने की कसम खाई थी. सो बस छत पर जा पहुंचे. जहां हमारे बाबूजी ने बहुत खूबसूरत बगीचा लगवाया है. हमने उसी बगीचे से खूब सारे फ़ूल तोड़े सीढ़ीयों से उतर ही रहे थे कि बाजू वाले घर में वाली गुजराती परिवार की सलोनी भाभी ने देखा बोली:- अरे वाह, इतने गुलाब..किस लिये ले जा रहें हैं ? जी, पूजा के लिये ले जा रहा हूं...? वो हमारे भोंदूपने पे ठिलठिला के हंस दीं बोली :- भाई साब, बड़े भोले हो या हमको मूर्ख समझते हो. हम:-"न भाभी सच पूजा के लिये ही हैं ! यक़ीन कीजिये " हां हां पूजा के लिये ही तो ले जाओगे कोई राखी के लिये थोड़े न ले जाओगे ... अर्र भाभी सा’ब, आप भी हमारी श्रीमति जी पूजा कर रहीं हैं उनके लिये ही लाया हूं. ओह समझी मुझे लगा कि आप प्यारी सी भाभी को फ़ूल देने के बज़ाय किसी पूजा को .... मुहल्ले में पूजाओं