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होली तो ससुराल की बाक़ी सब बेनूर सरहज मिश्री की डली,साला पिंड खजूर

होली तो ससुराल की बाक़ी सब बेनूर सरहज मिश्री की डली,साला पिंड खजूर साला पिंड-खजूर,ससुर जी ऐंचकताने साली के अंदाज़ फोन पे लगे लुभाने कहें मुकुल कवि होली पे जनकपुर जाओ जीवन में इक बार,स्वर्ग का सुख पाओ..!! ######### होली तो ससुराल की बाक़ी सब बेनूर न्योता पा हम पहुंच गए मन में संग लंगूर, मन में संग लंगूर,लख साली की उमरिया मन में उठे विचार,चलॆ लें नयी बंदरिया . कहत मुकुल कविराय नए कानून हैं आए दो होली में झौंक, सोच जो ऐसी आए ...!! ######### होली तो ससुराल की ,बाक़ी सब बेनूर देवर रस के देवता, जेठ नशे में चूर, जेठ नशे में चूर जेठानी ठुमुक बंदरिया ननदी उमर छुपाए कहे मोरी बाली उमरिया . कहें मुकुल कवि सास हमारी पहरेदारिन ससुर “देव के दूत” जे उनकी पनिहारिन..!! ######### सुन प्रिय मन तो बावरा, कछु सोचे कछु गाए, इक-दूजे के रंग में हम-तुम अब रंग जाएं . हम-तुम अब रंग जाएं,फाग में साथ रहेंगे प्रीत रंग में भीग अबीरी फाग कहेंगे ..! कहें मुकुल कविराय होली घर में मनाओ मंहगे हैं त्यौहार इधर-उधर न जाओ !!