सांड कैसे कैसे
. (चित्र साभार:राजतंत्र ) एक बुजुर्ग लेखक अपने शिष्य को समझा रहे थे -"आव देखा न ताव टपका दिये परसाई के रटे रटाए चंद वाक्य परसाई के शब्दों का अर्थ जानने समझने के लिये उसे जीना होगा. परसाई को बिछौना समझ लिये हो का.?, दे दिया विकलांग श्रद्धा को रोकने का नुस्खा हमको. अरे एक तो चोरी खुद किये उपर से कोतवाल को लगे बताने चोर का हुलिया . अगर पुलिस के चोर खोजी कुत्ते नें सूंघ लिया तो सांप सूंघ जायेगा . ....? तभी दौनो के पास से एक सांड निकला चेला चिल्लाया-जाने सांड कैसे कैसे ऐरा घूम रहे हैं इन दिनों कम्बख्त मुन्सीपाल्टी वाले इनको दबोच कानी हाउस कब ले जावेगें राम जाने. बात को नया मोड देता चेला गुरु से बोला:-गुरु जी, अब बताइये दस साल हो गये एक भी सम्मान नसीब न हुआ मुझे ? तो, क्या कबीर को कोई डी-लिट मिली,तुलसी को बुकर मिला ? अरे गुरु जी , मुझे तो शहर के लोग देदें इत्ता काफ़ी है . सम्मान में क्या मिलता है बता दिलवा देता हूं ? गुरु, शाल,श्रीफ़ल,मोमेन्टो...और क्या.....? मूर्ख, सम्मान के नारीयल की ही चटनी बनाये गा क्या...इत्ती गर्मी है शाल चाहता है, कांच के मोमेंटो चाहिये तुझे इस के लिय