ग्वारीघाट की शाम कोशिश थी कि सबसे पहले माई को गुलाल अर्पण करूं कल 19 मार्च 2011 की तस्वीर है उसपार होली के लिये सज़ा संवरा गुरुद्वारा |
इस पार चिन्मय शुभम गोलू भैया के साथ दीप दान की जुगत लगा रहे थे आज तो गज़ब ही हो गया हमारी सुबह देर रात तक मोहल्ले में व्यस्त रहने की वज़ह से |
अरे क्या सजल अमिताभ बच्चन जी से लम्बा है इस साल इसके हाथ पीले करना है
मिलें या लिखें आपका नाम व पता किसी को नही बताऊंगा
वैसे उज्जवल भी लाइन में लगा . जो रह जाए बाद में ट्राय करते रहना
वैसे शादी तो करेंगे पर बेचेंगे नहीं हम इन को
गौर दादा जी को तिलक लगाते अमिताभ बच्चन
और फ़िर फ़ोटो खिचवा ही लिया लम्बू जी ने
सच आज़ आये थे अमिताभ जी जबलपुर
मुहल्ले में टोली का घूमना एक मज़ेदार और अनोखा पहलू है आज़ फ़िर एक बार मलय जी की लायब्रेरी को देखने का मौका मिला
मलय जी,बाबूजी,मिश्रा जी, वर्मा जी, सभी तो थे साथ साथ
कविवर मलय का ये अदभुत चित्र |
जी भूल ही गया था भतीजा चिन्मय बच्चों मे खोजे न मिल रहा था आज़,
जाने क्या खोजतीं आखैं वर्मा जी की राख का ढेर है शोला है न चिंगारी है..
कल रात जली हुई राख बनी होलिका के पास खड़े नायडू भैया जेब में हाथ डाले विचार मग्न यही गुनगुना रहे हैं
मेरे परियोजना अधिकारी मित्रों में सबसे इन्नोसेंट
"दीपेन्द्र है जिनको दीपू कहता हूं"
मनीष शर्मा के क्या कहने |
हमारे ग्रुप के सबसे शातिर लगता है किंतु है नही जी पुनीत यानि गिलबिल |
ये है मनीष सेठ खूब हंसा रहे थे जज़ूर कोई दर्द था जिसे छिपा रहे थे |
ये अपन साफ़्ट ड्रिंक पी रहे थे तब की फ़ोटो |
ये भी अपन ही हैं |
दीपेंद्र भाई एक दम मस्त ड्रायवर |
गिलबिल और शर्मा जी |
सेठ जिनको फ़त्ते कहो कोई हर्ज़ नहीं |