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खेल को खेल रहने दो भाई

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श्री रंगा जी का आलेख 01 भारत की जीत की रात जगह जगह जोश में होश खो बैठे लोग सड़कों पर उतर आए . खुश तो हम भी थे आप भी होना भी चाहिये गौरव के पल थी पर ये क्या बकौल श्याम नारायण रंगा   "हम चाहते हैं कि वे लड़े और हमें मजा आए और अगर अगर हमारा सांड या मुर्गा हार गया तो हम उसको लानते मारते हैं और जलील करते हैं और जीत गया तो उसकी पूजा करते हैं और सम्मान देते हैं।"  सच्चा सवाल उठाया  रंगा जी ने उस रात मैने भी सड़कों पर देखा आमतौर पर लोग खुशियां कम श्रीलंकाई टीम की पराजय और पाकिस्तान के प्रति ससंदीय संबोधन किये जा रहे थे... सड़कों पर शराब की बाटले बीयर की बाटलें तेज़ वाहन पर "जै श्री राम" के नारे लगाती युवा टोलियां. शराब के नशे में चूर अति उत्साही लोग ... जिनकी वक्र-रेखित चाल उफ़्फ़ क्या सम्मान-जनक जीत के लिये इतना अनुशासन ही माहौल. राम को सड़क उत्तेजना का साधन बनाते युवा राम का मान कर रहे थे या बस..!      श्रीलंका  से जीत जैसे रावण के राज्य को ध्वस्त कर दिया हो. पौराणिक कथाऒं के पात्र रावण का नाम ले ले के कुछ युवा चीख रहे थे "चारों तरफ़ मचा है शोर : हारे सीता मैया क