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"मेरा मित्र एलियन के साथ कानाफ़ूसीरत " |
पिछले कई दिनों से अंतर्ज़ाल पर सक्रियता के कारण मेरी पृथ्वी से बाहर ग्रहों के लोगों से दोस्ती हो गई है. अंतरजाल पर मेरा बाह्य सौर मण्डल के गृहों पर बढ़ते सम्पर्क को देख कर मेरे सहकर्मीं मित्रों छठी इन्द्री में हलचल हुई. तो उसने विस्परिंग शुरु कर दी कुत्ते की तरह इधर उधर से मेरे बारे में जानकारीयां सूंघता सूंघता एक बार जब वो एक जगह घुस जहां एलियन मित्र- "कारकून " अपना रूप बदल के बैठा था . चुगली न कर पाने की वज़ह से दुनिया जहांन की बात करते करते भाई के दक्षिणावर्त्य में गोया दरद महसूस होने लगा . चुगल खोरी जिस गृह की सांस्कृतिक विरासत में वहां के संविधान में, धर्म में शुमार है से आया था यह जंतु सो मेरे मित्र के मानस में उभरी तरंगों को पकड़ लिया. सो मित्र से मित्रता गांठ ली और कुछ खिला पिला के अपना साथी बना लिया. और निकल पड़ा उसे लेकर तफ़रीह के बहाने. चलते-चलते भाई लोग कम आवाजाही वाले क्षेत्र में पहुंच गये. एलियन ने कुछ और तरंगे पकड़ मित्र के दिमाग की सो बस लगा मेरे मुतल्लिक बात करने -’भई, ककऊ जी, आप किस विभाग के नौकर हैं..?
ककऊ:- (अपमानित सा होकर )नौकर नही हूं, अफ़सर हूं.
कारकून:- जी माफ़ करना, अफ़सर जी किस विभाग के हो..?
ककऊ:- "XYZ" विभाग-में ABO हूं
कारकून:- अरे इस में तो फ़ला भी है
ककऊ:- जी, वो साला है पर आप को क्या बताऊं..? अरे, बहुत नाकारा, बेहूदा और गंदा आदमी है..उसकी वज़ह से मेरी तो नाक में दम है.?
कारकून:- क्यों क्या हुआ ?
ककऊ:- अरे, छोड़िये भी..? यहां साली दीवारों के भी कान होते हैं
कारकून:- (ककऊ को जाल में फ़ंसा देख ) कभी किन्ही जानवरों की आपसी बातैं सुन आपने...?
ककऊ:- न
कारकून:- तो ज़रा आंख बंद करो
कारकून से मोहित ककऊ ने आंख बंद कीं अगले ही पल खुद को कुत्ते के रूप में पाया. लगा चीखने ककउ की चीख पिल्लै की कूं-कूँ सी निकली कारकून को न देख घबराया सो कारकून जो बाजू में ही कुत्ते की तरह था बोला घबराओ मत देखो मैं खुद एक कुत्ता बना हूँ . ये तो सब आभासी है. वर्चुँल है घबराओ मत .कारकून की बात पर भरोसा एवं कारकून को स्वयं की तरह कुत्ते के रूप में देख मेरे मित्र का भय कम हुआ . ककऊ के विश्वास के आते ही कारकून ने अपने एक देशीय गृह के बारे में सब कुछ बताया.फिर मेरे यानी फलां के बारे में ज़िक्र छेड़ा और गहरी सांस लेकर पूछा -
कारकून :- अब फलां की बुराई बताओ
ककऊ:- अरे ये जो फलां है न उसका ढिकानी के साथ गहरा चक्कर है. कूब कमाता है भ्रष्ट है स्साला .
कारकून:- ये ढिकानी तो ठीक है. पर भष्ट माने...?
ककऊ:- भ्रष्ट माने हराम की कमाई खाने वाला है स्साला ?
कारकून:- हराम की कमाई न ये शब्द क्या हैं ?
ककऊ:- तो तुम किसी दूसरी दुनिया से आए हो ?
कारकून:- हां मैं , चुगल-गृह वासी एलियन हूं .
ककऊ:- जी , तभी तो तुम को मालूम नहीं.
कारकून:- तो आगे बताओ "फलां" के बारे में ककऊ:- फलां हमेशा......(इसके साथ ही उसने मेरे बारे में खूब लगाईं बुझाई की यह शिखरवार्ता लगभग दो घंटे चली. )
कारकून:- भाई बहुत हो गया अब चलूँ ...?
ककऊ:- मन तो नई भरा पर क्या करें आपको भी जाना है मुझे भी कालो आते रहना पर जाते-जाते मुझे आदमी बना दो
कारकून:- जब, आदमी के रूप में तुम कुत्ते का सा व्यवहार करते हो तो बेहतर है कि वही बने रहो !
ककऊ:- अरे , भाई ये क्या लगभग रोता हुआ एलियन के कदमों में लोट गया.
कारकून:- अरे हमारे गृह पर तो चुगली एक ऐसा आचरण जिसके ज़रिये किसी के विरुद्ध कोई हिंसा षडयंत्र नहीं करते तुम तो "फलां" जो मेरा नेटियामित्र कई उसी की कबर खोद रहे हो कुत्ते थे कुत्ते बने रहो
ककऊ:- तुमको चुगलदेव की सौगंध
कारकून:- अब तुमने चुगलदेव की सौगंध दी है है तो माफ़ किये देता हूं ककऊ को :कारकून ने आदमी का रूप वापस दे दिया और फुर्र से गायब . कल देर रात कारकून से चैट के दौरान घटना का विवरण मिला. सदमें में हूँ साथियो उसी सदमें में ये लिखा है कोई भी मित्र इसमें अपने को .......