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सव्यसाची सम्मान से अलंकृत लिमिटी खरे (ब्यूरो चीफ़ राज़ एक्सप्रेस नई-दिल्ली) से सीधी बात

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मध्य-प्रदेश के सिवनी जिले में जन्में एस.के.खरे जिन्हैं हम सब लिमिटी खरे के नाम से जानतें हैं "अक्षय-ऊर्ज़ा" के धनी हैं... बातों और कलम से झलकता है लिमिटी अन लिमिटेड  क्रियेटिविटि के जज़्बे से भरे हुए हैं . आज मेरे साथ काफ़ी पी (उनने दिल्ली में मैने जबलपुर में) इस दौरान उनके गर्मागर्म विचार सुनिये और देखिये    चंद तस्वीरें 24/12/2010  कीं  जब उनको  जबलपुर में नवाज़ा गया था सव्यसाची अलंकरण से लिमिटी के तेवर देखिये गज़ब अंदाज़-ए-बयां है हज़ूर का ...!! आप इस साक्षात्कार को  " Bambuser " पर क्लिक करके भी सुन सकते हैं .....

लिमटी खरे यानि उपलब्धियों का पिटारा

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सव्यसाची माँ                         अगर आप लिमटी खरे जी से ब ज़रिये अंतरजाल जुड़ गये तो तय है कि रोज़ आपको अखबार पर खर्च करने की ज़रूरत नही पूरे स्नेह भाव से आपके  इनबाक्स में मिलेगा आपको खबरों का खजाना जिसे भेज रहें होंगे दिल्ली से लिमटी-भाई. शहर जबलपुर को कर्म भूमि के रूप में स्वीकारा  लम्बी यात्रा की पक्के ठौर-ठिकाने के लिये . चांदी के चम्मच से घुट्टी न मिली थी उनको तभी तो वे संघर्ष की परिभाषा को जी पाये. और सफ़लता के सोपान पर चढ़े जा रहे हैं .   लिमटी जी से मैने उनके नाम के बारे पूछा भी नहीं उनने बताया भी नहीं. वे तो बस लिमटी हैं वास्तव में एस०के०खरे नाम है इनका अब गौर कीजिये इनके समृद्ध सी०वी० पर एक नज़र डालिये तो ज़नाब  S.K. KHARE   (“Limty Khare”) “Priyanka” ,  Jaiswal Colony, Seoni, M.P. 480661 Phone: +91 7692 220035 Mobile : +91 94 250 11234 E-mail: limty@rediffmail.com limtykhare@gmail.com http://limtykhare.blogspot.com Objective: To be successful in Journalist field & to become part of a fraternity which provides challenging and cognitive environment. Qual

अश्लीता को बढा रहा है इलैक्ट्रानिक मीडिया :लिमिटि खरे

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लिमिटि खरे का कथन गलत है ऐसा कहना भूल होगी रोज़नामचा वाले लिमिटि जी के बारे में जो प्रोफ़ाइल में है ठीक वैसा ही व्यक्तित्व जी रहे. लिमटी खरे LIMTY KHARE हमने मध्य प्रदेश के सिवनी जैसे छोटे जिले से निकलकर न जाने कितने शहरो की खाक छानने के बाद दिल्ली जैसे समंदर में गोते लगाने आरंभ किया है। हमने पत्रकारिता 1983 में सिवनी से आरंभ की, न जाने कितने पड़ाव देखने के उपरांत आज दिल्ली को अपना बसेरा बनाए हुए हैं। देश भर में अनेक अखबारों, पत्रिकाओं, राजनेताओं की नौकरी करने के बाद अब फ्री लांसर पत्रकार के तौर पर जीवन यापन कर रहे हैं। हमारा अब तक का जीवन यायावर की भांति ही बीता है। पत्रकारिता को हमने पेशा बनाया है, किन्तु वर्तमान समय में पत्रकारिता के हालात पर रोना ही आता है। आज पत्रकारिता सेठ साहूकारों की लौंडी बनकर रह गई है। हमें इसे मुक्त कराना ही होगा, वरना आजाद हिन्दुस्तान में प्रजातंत्र का यह चौथा स्तंभ धराशायी होने में वक्त नहीं लगेगा इस प्रोफ़ाइल से इतर तेवर नहीं है लिमिटि जी के. यकीं न हो तो आप खुद सुनिये