डा०संध्या जैन लेबलों वाले संदेश दिखाए जा रहे हैं. सभी संदेश दिखाएं
डा०संध्या जैन लेबलों वाले संदेश दिखाए जा रहे हैं. सभी संदेश दिखाएं

6.3.08

"guest-corner" [अतिथि कोना]:[01]डाक्टर संध्या जैन "श्रुति"

इस पन्ने पे आपकी मुलाक़ात होगी महिला-साहित्यकारों से पहला क्रम जबलपुर की राष्ट्रपति पुरूस्कार प्राप्त शिक्षिका डाक्टर संध्या जैन "श्रुति" को समर्पित है समर्पित करने जैसी कोई बात है नही उनको आज मैंने बुलवाया सम्पूर्ण चर्चा के लिए ।
नेट से दूर रहने वाले जबलपुर के साहित्यकारों को वेब-डिजायनर,दस-बीस हजार का खर्चा बताते हैं कवि साहित्यकार कोई पूंजी-पति नही होता जो बेवजह वेब पर इतना भी खर्च करेगा क्यों....?
खैर छोडिए, आज इस कोने की अतिथि-लेखिका,को फिल्म-फेयर अवार्ड के दौरान प्रसिद्ध अभिनेताओं -के द्वारा हिंदी के प्रति अपमान जनक व्यवहार से क्षोभ है वही फिल्म-फेयर अवार्ड समारोह जिसमे हिंदी फिल्मों के गीतकार प्रसून जोषी ने अवार्ड पाने के बाद अंगरेजी में ही आभार व्यक्त किया।
डाक्टर जैन ने दो किताबें लिखी हैं "आकाश-से-आकाश तक" कथा संग्रह,मिलन,जबलपुर ने प्रकाशित की थी । चौबीस कहानियों में सभी कहानियाँ एक से बढकर एक हैं।
पूर्णिमा वर्मन जी ने मुझे दूर से.....[यानी शारजाह से ] दूर तक पहुँचने का रास्ता दिखाया "शायर-फेमिली" वाली श्रद्दा जैन , पारुल…चाँद पुखराज का वाली पारुल जी , सभी ने सहारा दिया अंतर जाल से जुडे रहने के लिए सव्य-साची का आशीषा जो हूं - जो कहानी कहते-कहते सो गयी माँ .....? मैं तो अपनी जिन्दगी में मातृ-शक्ति का ऋणी हूँ.... यदि महिला रचनाकारों के लिए जो भी कुछ कर रहा हूँ वो मेरा दायित्व है ...अस्तु अब आगे चलें Udan Tashtari जी की टिप्पणी से उत्साहित हूँ सो दीदी के बारे में आगे लिख रहा हूँ ..........
संध्या दीदी यदि वर्ष 1960 के अक्टूबर माह की पहली तारीख को जन्म न लेकर अगले दिन जन्मतीं तो दुनियाँ भर में गांधी जी के साथ उनका जन्म दिन भी मनाया जाता है....एम० ए० हिन्दी साहित्य,तथा परसाई पर डाक्टरेट पाने वाली संध्या जी की पहली कृति "आकाश से आकाश तक " में शुभ कामना में ज्ञानरंजन जी ने कहा कि -" इन कहानियों में एक ऐसी स्त्री हस्तक्षेप करती जिसके भीतर पुराना मर्म,भावनात्मकता,आदर्श और आवेग,संवेदनात्मक-विचलन कुछ बचा हुआ है,समाप्त नहीं हुआ...!
प्रथम कथा संग्रह में संध्या जी जो मध्यम दर्जे के शहर की,मध्यम-वर्गी , परिवार की पृष्ठ भूमि का गहरा प्रभाव ज्ञान जी ने देखा । साथ मध्य-वर्गीय केनवस् से मोह छोड़ने की सलाह देकर आश्वस्त करते हैं कि संध्या मोह छोड़ के प्रथम पंक्ति में आजाएंगी"
मेरी राय दादा ज्ञान जी से भिन्न है मैं न तो मध्यम वर्ग के प्रति पूर्वाग्रही हूँ और न ही पूर्वाग्रही होने की सलाह दूंगा ।
डाक्टर त्रिभुवन नाथ शुक्ल जी हिन्दी विभाग प्रमुख की पाठकों को सलाह "संक्रमण की स्थिति में श्रुति की कहानियों का स्वागत होगा "में दम लगती दिखाई देती है......!
प्रसिद्ध व्यंग्य कार श्रीराम ठाकुर "दादा" भी इनके लेखन को जिम्मेदारी भरा लेखन मानतें है.
{शेष जारी => }

Wow.....New

धर्म और संप्रदाय

What is the difference The between Dharm & Religion ?     English language has its own compulsions.. This language has a lot of difficu...