"सनातन सामाजिक व्यवस्था" क्या है ...?
अखंड भारत कल्पित नहीं सनातन सामाजिक व्यवस्था ने इसे 5000 से अधिक अवधि तक सम्हाला था पाकिस्तान के कितने टुकड़े होंगे ? कल के इस आलेख में यह समझाने का प्रयत्न किया था कि " सनातन सामाजिक व्यवस्था " क्या है ... ? आइये उसी से आगे बात को लिए चलतें हैं.... क्या यह एक सम्प्रदाय है ... उत्तर स्वाभाविक रूप से न ही है .. क्योंकि धर्म के अनुयाई सहमति असहमति के आधार पर अपने सुझाए मार्ग पर चलने व्यवस्था बनाते हैं.. यह कार्य समूह का शिखर व्यक्तित्व करता है जिसे गुरू संबोधित किया जा सकता है किन्तु मेरा आध्यात्मिक चिन्तन इनको प्रवर्तक मानता है . हो सकता है आप असहमत हों . पर यही सत्य है. धर्म क्या है ... इस पर बेहद विशद मंथन किया जा चुका है होता भी रहेगा इससे कोई ख़ास अर्थ निकलने वाला नहीं . जैसे कि गाड अर्थात ईश्वर को कोई न तो प्रूफ कर पाया है न ही ही किसी ने उसके अस्तित्व को बहुसंख्यक वैश्विक आबादी ने स्वीकार्य ही किया है. विश्व का हर प्राणी ईश्वर को मात्र अनुभूत करता है . धर्म उसी ईश्वर तक पहुँचने का रास्ता है . जो अन्य प्राणियों के प्रति सात्विकता पू