मेरा भतीजा गुरु जिसे स्कूल में चिन्मय
के नाम से सब जानतें है जब चार बरस का था ...सायकल खरीदने के लिए रोज़ फरमाइश करता
था । हम नहीं चाहते थे कि चार साल की छोटी उम्र में दो-पहिया सायकल खरीदी जाए..मना
भी करना गुरु को दुखी करना ही था ।सो हमने उसे बहलाने के लिए उसे बताया कि
"सरकार ने सायकल के लिए लायसेंस का प्रावधान किया है...!"
जिसे बनाने में तीन चार महीने लगते हें।
बच्चे भी कितने भोले होते हें हमने भोलेपन का फायदा उठाना चाहा और लायसेंस बनाने
का वादा कर दिया सोचा था गुरु भूल जाएगा इस बात को किन्तु रोज़ रोज़ की मांग को
देखते हुए मैंने अपने मित्र अब्दुल समी के साथ मिल कर एक लायसेंस बनाया । जो एक आई
डी कार्ड था जिस पर गुरु का फोटो चस्पा था उस पर सिक्के से एक गोल सील लगाईं गई
था.. और लिखा था- “आँगन में इस लायसेंस के धारक बच्चे को आँगन में सायकल चलाने की
अनुमति दी जाती है.
उस दिन लायसेंस पाकर खूब खुश हुआ था
गुरु । हाथ मे लायसेंस और सायकल के सपने । आज गुरु 10 साल का है बड़ी सायकल चलाता है
उसके पास लायसेंस सुरक्षित है। खूब हंसता है जब लायसेंस देखता है ।