"मुझे कन्यादान शब्द से आपत्ति है
जब ये ट्विट किया कि "मुझे कन्यादान शब्द से आपत्ति है..निर्जीव एवम उपयोग में आने वाली वस्तु नहीं है बेटियां ..!" और यही फिर इसे वाट्स एप पर डाला तो लोग बचाव की मुद्रा में आ एन मेरे सामने आ खड़े हुए... बुद्धिवान लोग मुझे अज्ञानी संस्कृत और संस्कृति का ज्ञान न होने वाले व्यक्ति का आरोप जड़ने लगे . कुछेक ने तो संस्कार विधि नामक पीडीऍफ़ भेज दी . क्या बताऊँ सोशल-मीडिया के विद्वानों को कि भाई मेरा आशय साफ़ है ..... कि बेटी को वस्तु मत कहिये ... आपकी बेटी में एक आत्मा है जिसका और खुद आपका सर्जक ईश्वर है... हमको आपको सबको देह के साथ कुछ साँसें दान में मिलीं हैं.. ! बेटी आत्मजा है.. जिसका जन्म एक आत्मिक और आध्यात्मिक घटना है. पर परम पंडितों को लगा मैं धर्म विरुद्ध हूँ.. अरे भाई ... समझो .. बेटी दान देने की वस्तु नहीं बल्कि पुत्र के समतुल्य आपकी संतान है. उसे संघर्ष में मत डालो .... कोई खाप पंचायत ब्रांड सीमाओं में मत जकड़ो उसका दान नहीं सम्मान के साथ परिवार बसाओ उसका विवाह संस्कार संपन्न करवाओ.. परन्तु उसकी आत्म-ध्वनि को सुनो ....... समझो ....... उसे देवी कहते हो फिर भी