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"आओ मुझे बदनाम करो.....!!"

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उस दिन शहर के अखबार समाचार पत्रों में रंगा था समाचार "श्रींमन क के विरुद्ध जन शिकायतों को लेकर हंगामा, श्रीमान ख के नेतृत्व में आला अधिकारीयों को ज्ञापन सौंपा गया ?" नाम सहित छपे इस समाचार से श्री क हताशा से भर गए वे उन बेईमान मकसद परस्तों को अपने आप में कोसते रहे किंतु कुछ न कर सके राज़ दंड के भय से बेचारगी का जीवन ही उनकी नियति बन गया . श्री क अपने एक पत्रकार मित्र से मिलने गए उनने कहा-"भाई,संजय इस समाचार में केवल अमुक जी का व्यक्तिगत स्वार्थ आपको समझ नहीं आया ? " यदि है भी तो भैया जी, मैं क्या करुँ मेरी भी तो ज़िंदगी का सवाल है जो गोल-गोल तभी फूलतीं हैं जब मैं अपने घर तनखा लेकर आता हूँ.....! तो ऐसा करो भइयाजी,मेरी इन-इन उपलब्धियों को प्रकाशित कर दो अपने लीडिंग अखबार में ! ये कहकर श्रीमान क ने अपनी उपलब्धियों को गिनाया जो वे सार्वजनिक करने से कल तक शर्माते थे . उनकी बात सुन कर संजय ने कहा "भैयाजी,आपको इन सब काम का वेतन मिलता है ,कोई अनोखी बात कहो जो तुमने सरकारी नौकर होकर कभी की हो ?" श्रीमान क -"अनोखी बात