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मुंबई न पहूंच पाने पर खेद

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क ल्याण पश्चिम स्थित के एम अग्रवाल कॉलेज एवं अनिता कुमार जी के कॉलेज के कार्यक्रम में मुंबई जाना निश्चित हुआ था। पर स्वास्थ्यगत कारणों से उपस्थित होने में असमर्थ हूँ। ठंड लगने से अचानक स्वास्थ्य खराब हो गया। इसलिए के एम अग्रवाल कॉलेज के कार्यक्रम संयोजक, अनिता कुमार जी एवं अन्य मित्रों से क्षमा चाहूंगा। न पहुंच पाने के लिए खेद व्यक्त करता हूँ। ऐसा गिरीश दादा ने फ़ोन पर बताया और मुझे संदेश आप तक पहुंचाने कहा। ललित शर्मा    

क्या करें हो ही गई ललित शर्मा जी से मुठभेड़

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_________________________ कार्यक्रम वाले दिन यानी 30 अप्रैल 2011  अल्ल सुबह घर  से निकला किंगफ़िशर जनता फ़्लाईट में नाश्ता-वास्ता लिये  बिना सोचा था कि   उधर यान बालाएं खाने पीने को पूछेंगी ही सो  श्रीमति जी की एक न मानी. अब ताज़ा हसीन ताज़ा तरीन चेहरे वाली व्योम बालाओं  के हाथों से खाऊंगा सोचकर सतफ़ेरी अर्धांगिनी की न मानना महंगा पडेगा इस बात का मुझे इल्म न था.  ट्राली लेकर पधारीं  दो लावण्य मयी व्योम-बालाओं  में से एक बोली : आप मीनू अनुसार आर्डर कीजिये  वेज़ सेण्डविच..? न, नहीं है सर  तो साल्टी काज़ू ही दे दो  काफ़ी भी देना,  काफ़ी के साथ दो जोड़ा बिस्किट फ़्री मिले.  नाश्ता आते आते पड़ोसी से दोस्ती हो गई थी. उनको गुज़रात जाना था. समीपस्थ  सिवनी नगर  के व्यापारी थे जो अपने जीजा जी के अत्यधिक बीमार होने की खबर सुन के रातों रात जबलपुर आए थे. यात्रा के दौरान पनपी मित्रता का आधार उनका पहली बार का विमान यात्री होना तो था मेरा आकर्षण वो इस कारण बने क्योंकि उनके पास तम्बाखू मिश्रित जबलपुरिया गुटखे का भण्डार पर्याप्त था. न भी होता तो मै मित्र अवश्य बना लेता ... बात चीत तो करनी ही थी.  

रंग पंचमी तक होली होली ही होती है

आज़ क्रिकेट के रंग में  विश्व यहां तक की गूगल बज़ तक सराबोर था. आस्ट्रेलिया को हराना विश्व कप का रास्ता साफ़ करने के बराबर है. इसी हंगामा खेज मौके पर  ब्लागवुड के समाचार  सुनिये                              मिडियम वेब चार दो शुन्य मेगाहार्टज पर ये ब्लॉगवुड का रेडियो केन्द्र है , सभी श्रोताओं को रंग पंचमी की हार्दिक शुभकामनाएं।अब आप ललित शर्मन: से ब्लॉग वुड के बचे-खुचे मुख्य समाचार सुनिए। टेक्स्ट में बांचिये इधर 

ललित जी डर के आगे जीत है भई ..!!

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बताईये दबंग कौन..? " जबलपुरिया दबंगई -" हजूर जापान की सुनामी से विचलित होकर आप कुछ अधिक व्यग्र नज़र आ रहे हैं. हम तो फ़गुआहट से प्रभावित अपने मत दाताओं यानी माननीय सुधि पाठकों भावना की कदर करते हुए चाह रहे थे कि वार्ता कुण्ठा जन्य परिस्थियों की वज़ह से अवरुद्ध न हो. आपने हमारी सद भावना को सर्वथा ग़लत दिशा दी...! आप भी क्या कर सकते हैं विजया-सेवनोपरांत ऐसा ही लिखा जाता है. "विजया को ऐसो नशा हो गये लबरा मौन पत्नि से पूछे पति:-"हम आपके कौन..?" ललित जी डर के आगे जीत है भई ..!! मुझे "मूंछ उमेठन चुनौती से भय नहीं याद रखिये यह भी कि खरा आदमीं हूं कुम्हड़े का फ़ूल नहीं जो तर्जनी देख के डर जाऊं ! जब से होश सम्हाला है जूझता ही आया हूं किंतु आपकी पीडा मैं समझ सकता हूं आप ने आक्रोशवश जो भी लिखा उसे नज़र अंदाज़ करते हुए मैं सम्पूर्ण स्थितियों से पर्दा उठा देना चाहता हूं ताकि आप जैसे मित्र से मेरा जुड़ाव सतत रहे १. ब्लाग4वार्ता एक स्नेह का अबोला अनुबंध है २. ब्लाग4वार्ता को मेरे-आपके अलावा कई और मित्रों खासकर मेरे और आपके लिये आदरणीया संगीता पुरी जी , के स्

ललित जी का पिटारा खुल गया और हम सी एम साब से न बतिया पाए

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शाम के अखबार के आन लाइन एडीसन  पी डी एफ़ हो  अथवा सरकारी  वेब साईट या पाबला भैया का ब्लाग आज़ सिर्फ़ ललित शर्मा जी के हिन्दी पोर्टल पर ही चर्चिया रहे है. खबर तो हम भी बज़्ज़ पे छैप दिये थे पर लगा दादा नाराज़ हो गये तो हमारे थोबड़े का शिल्प कर्म न कर दें कहीं. पर  भैया  ऐसे  नहीं  हैं  मेरे  मित्र                                                     इधर से रास्ता है जी तीन भागों में विभक्त पोर्टल का कलेवर सामान्य एवम ललित भाई की मनोभावनाओं को उजागर कर रहा है . हिन्दी का यह पोर्टल किसी फ़ैंटेसी को नहीं जन्मता बल्कि सामान्य सी बातों को आगे लाने की कोशिश करता है जो अनदेखी किंतु ज़रूरी है Home शुभेच्छु आमुख  एक राज़ की बात बताऊं गूगल खोज सन्दूक में यह तीसरे स्थान पर है जबकि इसका उदघाटन अभी कुछ घण्टों पहले हुआ है.  ललित भाई कहते हैं  ”भाई आज़ फ़ोन काहे बन्द था ?” मैं:- ”असल में कोर्ट में