बालश्रम लेबलों वाले संदेश दिखाए जा रहे हैं. सभी संदेश दिखाएं
बालश्रम लेबलों वाले संदेश दिखाए जा रहे हैं. सभी संदेश दिखाएं

7.6.09

ढाबॉ पे भट्ठियां नहीं देह सुलगती है .

यहाँ भी एक चटका लगाइए जी

इक पीर सी उठती है इक हूक उभरती है

मलके जूठे बरतन मुन्नी जो ठिठुरती है.
अय. ताजदार देखो,ओ सिपहेसलार देखो -
ढाबॉ पे भट्ठियां नहीं देह सुलगती है .
कप-प्लेट खनकतें हैं सुन चाय दे रे छोटू
ये आवाज बालपन पे बिजुरी सी कड़कती है
मज़बूर माँ के बच्चे जूठन पे पला करते
स्लम डाग की कहानी बस एक झलक ही है
बारह बरस की मुन्नी नौ-दस बरस की बानो
चाहत बहुत है लेकिन पढने को तरसती है
क्यों हुक्मराँ सुनेगा हाकिम भी क्या करेगा
इन दोनों की छैंयाँ लंबे दरख्त की है

Wow.....New

धर्म और संप्रदाय

What is the difference The between Dharm & Religion ?     English language has its own compulsions.. This language has a lot of difficu...