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डॉ अ कीर्तिवर्धन की कविता : आँख का पानी

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आँख का पानी होने लगा है कम अब आँख का पानी, छलकता नहीं है अब आँख का पानी| कम हो गया लिहाज,बुजुर्गों का जब से, मरने लगा है अब आँख का पानी| सिमटने लगे हैं जब से नदी,ताल,सरोवर सूख गया है तब से आँख का पानी| पर पीड़ा मे बहता था दरिया तूफानी आता नहीं नजर कतरा ,आँख का पानी| स्वार्थों कि चर्बी जब आँखों पर छाई भूल गया बहना,आँख का पानी| उड़ गई नींद माँ-बाप कि आजकल उतरा है जब से बच्चों कि आँख का पानी| फैशन के दौर कि सबसे बुरी खबर मर गया है औरत कि आँख का पानी| देख कर नंगे जिस्म और लरजते होंठ पलकों मे सिमट गया आँख का पानी| लूटा है जिन्होंने मुल्क का अमन ओ चैन उतरा हुआ है जिस्म से आँख का पानी| नेता जो बनते आजकल,भ्रष्ट,बे ईमान हैं बनने से पहले उतारते आँख का पानी| डॉ अ कीर्तिवर्धन 09911323732 डॉ अ कीर्तिवर्धन, की कविता : आँख का पानी डा० अ कीर्तिवर्धन अ कीर्तिवर्धन के ब्लाग :-     संवाद  एवम  समंदर