रेलवे क्रासिंग वाला किशोर और बाइक वाला
साहेब ये घोड़ा है … इसकी पीठ पर सवार बादशाह की रौबीली मूंछ सुनहरी रकाब , ये देखिये घोड़े की झबरीली पूंछ दस रुपये में ..... आपको घोडा तो क्या बादशाह भी नहीं मिलेगा .... खरीद लीजिये न ..... आपके दस रुपये बहुत काम आएंगे ....... आपकी बेटे के चेहरे पर हंसी , बेटी के मुखड़े पर मुस्कान लाएँगे ..... सा ’ ब दे दूँ..... दो ले लीजिये बीस रुपए बेकार नहीं जाएंगे ... बोलो साब बोलो ..... जल्दी बोलो ..... गाड़ी आने वाली है गेट खुल जाएगा । आपका घोडा यहीं रह जाएगा ... अनचाहे विक्रेता से खीज कर आलीशान कार के काँच ऊपर चढ़ गए । शाम आसरा भी टूटता नज़र आया हताश किशोर की हताश आंखें पीछे वाले बाइक सवार नें पढ़ लीं , कार का शीशा चढ़ते हुये जो देख रहा था ...... बाइक सवार ने पचास का नोट देकर कहा ये ये मुझे दे दो सा ’ ब , छुट्टे ... बीस दीजिये न ... नहीं है ...... कोई बात नहीं कल लौटूँगा न तब वापस ले लूँगा ..... रोज़ निकलता हूँ । सा ’ ब आप ले जाओ ... छुट्टे कल दे देना ! बाइक सवार युवक ने लगभग डपट कर उसे बीस की जगह पचास थमा दिये । किशोर ने बाइक का नंबर नोट