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सरकतीं फ़ाईलें : लड़खड़ाती व्यवस्था

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साभार : गूगल बाबा साभार:गूगल बाबा    भारतीय-व्यवस्था में ब्यूरोक्रेटिक सिस्टम की सबसे बड़ी खामी उसकी संचार प्रणाली है जो जैसी दिखाई जाती है वैसी होती नहीं है. सिस्टम में जिन शब्दों का प्रयोग होता है वे भी जितना अर्थ हीन हो रहें हैं उससे व्यवस्था की लड़खड़ाहट को रोका जाना भी सम्भव नहीं है. यानी कहा जाए तो ब्यूरोक्रेटिक सिस्टम अब अधिक लापरवाह  और गैर-जवाबदेह साबित होता दिखाई दे रहा है.  दूसरे शब्दों में कहा जाए तो भार को अंतरित कर देने की प्रवृत्ति के चलते एक दूसरे के पाले में गेंद खिसकाते छोटे बाबू से बड़े बाबू के ज़रिये पास होती छोटे अफ़सर से मझौले अफ़सर के हाथों से पुश की गई गेंद की तरह फ़ाईल जिसे नस्ती कहा जाता है अनुमोदन की प्रत्याशा में पड़ी रहती है. और फ़िर आग लगने  पानी की व्यवस्था न कर पाते अफ़सर  अक्सर नोटशीट के नोट्स जो बहुधा गैर ज़रूरी ही होतें हैं मुंह छिपाए फ़िरतें हैं. वास्तव में जिस गति से काम होना चाहिये उस गति से काम का न होना सबसे बड़ी समस्या है कारण जो भी हो व्यवस्था और भारत दौनों के हित में नहीं.इन सबके पीछे कारणों पर गौर किया जावे तो हम पातें हैं कि व्यवस्था के संचालन के